जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट में अलवर के कुशालगढ़ में सीलिंग एक्ट में जब्त भूमि पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री भंवर जितेन्द्रसिंह की ओर से अवैध रूप से होटल चलाने के मामले में आबकारी विभाग सहित अन्य ने जवाब पेश किया है। जिसे रिकॉर्ड पर लेते हुए अदालत ने मामले की सुनवाई दो सप्ताह बाद तय की है। न्यायाधीश केएस झवेरी और न्यायाधीश वीके व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश अशोक पाठक की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए।
सुनवाई के दौरान आबकारी विभाग की ओर से जवाब पेश कर कहा गया कि कुशालगढ़ के इस भवन में विभाग की ओर से शराब बेचने के लिए कोई लाईसेंस जारी नहीं किया गया है। वहीं जितेन्द्रसिंह की ओर से जवाब पेश कर याचिकाकर्ता पर आरोप लगाया गया। जवाब में कहा गया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कई मुकदमें लंबित चल रहे हैं। याचिकाकर्ता ने राजनीतिक छवि खराब करने के लिए यह याचिका दायर की है। इसके अलावा याचिकाकर्ता ने एसीबी में भी मामला दर्ज कराया था। जिसमें एसीबी क्लोजर रिपोर्ट पेश कर चुकी है।
याचिका में कहा गया कि कुशालगढ़ में पूर्व महाराजा तेजसिंह की आठ बीघा भूमि सीलिंग एक्ट के तहत वर्ष 2005 में जब्त होने के बाद भी अलवर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य और पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्रसिंह ने भूमि का कब्जा नहीं छोड़ा। इसके बाद वर्ष 2011 में होटल खोलकर जितेन्द्रसिंह की पत्नी ने एक अन्य को लीज पर दे दिया। याचिका में यह भी कहा गया कि 18 मई 2012 को बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन करने पर जेवीवीएनएल ने 16 लाख 57 हजार 836 रुपए की डिमांड जारी की। वहीं भंवर जितेन्द्रसिंह के प्रभाव में आकर 20 सितंबर 2012 को बिजली कंपनी ने री-कनेक्शन के नाम पर डिमांड राशि घटाकर 2 लाख 89 हजार 768 कर दी। याचिका में यह भी कहा गया कि आबकारी विभाग से शराब लाईसेंस लिए बिना सरकारी भूमि पर बनी होटल में शराब परोसी जाती है।