– कोर्ट ने गर्ग व व्यवसायी पर आरोप तय किए
जयपुर। राजस्थान वित्त निगम के तत्कालीन सीएमडी रहे अतुल कुमार गर्ग को एक व्यवसायी अनिल बहल को बकाया राशि की छूट देकर सरकार को एक करोड़ उन्नीस लाख रुपए की चपत लगाना महंगा पड़ गया है। इस मामले में एसीबी की ओर से दर्ज प्राथमिकी रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट में पेश चालान पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अतुल गर्ग और व्यवसायी अनिल बहल पर आरोप तय किए। 8 फरवरी, 1987 को 30.90 लाख रुपए का ऋण एवं 27 फरवरी, 1988 को 6.40 लाख रुपए का समयावधि ऋण लेकर भुगतान नहीं करने के मामले में राजस्थान वित्त निगम केे तत्कालीन सीएमडी रहे अतुल गर्ग ने बकाया राशि छूट देकर 119 लाख रुपए की सरकार को क्षति पहुंचाई। एसीबी-कोर्ट संख्या दो के न्यायाधीश पवन कुमार शर्मा ने दोनों पर आरोप तय कर दिए है। अब मामले में अभियोजन गवाही शुरू होगी। कोर्ट ने 4 फरवरी, 2017 को गवाहों को बुलाया है। एसीबी ने 25 मार्च, 2010 को सूक्ष्म सूचना के आधार पर इस मामले में दोनों के खिलाफ मामला दर्ज किया। एसीबी ने 25 नवम्बर, 2014 को दोनों के विरुद्ध चालान पेश किया। प्रकरण में आरोपी बनाए गए राजस्थान वित्त निगम के तत्कालीन कार्यकारी निदेशक पवन अरोड़ा, सुरेश सिंघल, राजेन्द्र विजय एवं कमल मेहता को दोषी नहीं मानते हुए क्लीन चिट दी। एक मार्च, 2009 को व्यवसायी अनिल बहल पर 476.61 लाख रुपए बकाया थे। बहल ने काल्पनिक तथ्यों के आधार पर प्रार्थना पत्र पेश किया और राज्य स्तरीय कमेटी ने बैठक कर 283 लाख रुपए सेंटलमेंट कर दिया। एसीबी का आरोप था कि इससे वित्त निगम को 163.72 लाख रुपए का नुकसान हुआ। गर्ग पर आरोप है कि सेंटरमेंट राशि जमा कराने की बार-बार छूट दी। यूनिट को जमीन बेचान की भी छूट दे दी। गर्ग पर यह भी आरोप है कि उसने तबादला होने के बाद बैंक डेट में आदेश पारित किए।

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