जयपुर। राज्यपाल कलराज मिश्र ने संस्कृत भाषा से आम लोगों को जोड़ने के लिए प्रयास करने पर बल दिया है। संस्कृत के पुरातन ग्रंथों का हिन्दी और दूसरी भाषाओं में बड़े स्तर पर अनुवाद आवश्यक है।

राज्यपाल जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के चौथे दीक्षांत समारोह के अवसर पर बुधवार को ऑनलाइन संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आधुनिक विषयों को संस्कृत शिक्षा के पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया जाना चाहिए। उन्होंने संस्कृत विश्वविद्यालय को भारतीय जीवन दर्शन से जुड़े मौलिक शोध और अनुसंधान का महत्वपूर्ण केन्द्र बनाने का आह्वान किया।

समारोह के मुख्य अतिथि संस्कृत शिक्षा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने कहा कि संस्कृत भाषा के प्रसार को लेकर राज्य सरकार सतत प्रयत्नशील है। संस्कृत शिक्षा और संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ही प्रदेश में अलग से संस्कृत शिक्षा निदेशालय और संस्कृत अकादमी का संचालन किया जा रहा है।

कुलपति डॉ. अनुला मौर्य ने कहा कि विश्वविद्यालय में संविधान पार्क और वैदिक परंपरा के अनुसार नक्षत्र वाटिका एवं नवग्रह वाटिका की स्थापना भी की जा रही है। कुलपति ने विश्वविद्यालय की शैक्षणिक, शिक्षणेत्तर गतिविधियों एवं विकास कार्यों का प्रगति प्रतिवेदन भी प्रस्तुत किया।

कुलसचिव रंजीता गौतम ने बताया कि दीक्षान्त समारोह में शैक्षणिक सत्र 2019 एवं 2020 के सफल 16851 विद्यार्थियों को डिग्रियां एवं 23 शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधि तथा सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले 31 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए।

कार्यक्रम में राज्यपाल ने उपस्थित लोगों को भारतीय संविधान में वर्णित मूल कर्तव्यों का वाचन करवाया।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कार्य परिषद और विद्या परिषद के सदस्यगण, शिक्षकगण एवं विद्यार्थीगण प्रत्यक्ष एवं ऑनलाइन उपस्थित रहे। मंगलाचरण डॉ. शंभु कुमार झा और कार्यक्रम का संचालन शास्त्री कोसलेंद्रदास ने किया।

LEAVE A REPLY