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जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह वृद्धजन कल्याण के लिए वर्ष 2007 में बनाए कानून के प्रावधानों को लागू करे। सरकार की ओर से इस कानून को लागू करने के लिए आज तक पर्याप्त प्रयास नहीं किए गए हैं। सरकार के पास आवश्यक संसाधन भी नहीं हैं।

न्यायाधीश जीके व्यास और न्यायाधीश जीआर मूलचंदानी की खंडपीठ ने यह आदेश लोक उत्थान संस्थान की ओर से दायर जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए दिए। अदालत ने सरकार को कहा है कि वह वृद्धजन कल्याण अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए एक साल में आवश्यक इंतेजाम करे। अदालत ने जिला कलक्टर्स के जरिए इसकी समयबद्ध रिपोर्ट राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में भेजने के निर्देश दिए हैं।

याचिका में अधिवक्ता राजेन्द्र सोनी ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार अभिभावकों और वरिष्ठ नागरिकों के भरण पोषण और कल्याण अधिनियमए 2007 के प्रावधानों को लागू नहीं कर रही है। जिसके चलते अकेले रहने वाले वरिष्ठ नागरिकों के साथ आए दिन आपराधिक घटनाएं हो रही हैं। अधिनियम के तहत राज्य सरकार का यह दायित्व है कि वह हर जिले में कम से कम डेढ़ सौ वृद्धजनों के लिए आश्रम खोले। इसके बाद चरणबद्ध तरीके से तहसील मुख्यालय पर भी इन आश्रमों की स्थापना की जाए। इसके अलावा सरकार व अनुदानित अस्पताल में वृद्धजनों को वरीयता दी जाए और जिला अस्पतालों में अलग से मेडिकल आॅफिसर नियुक्त हो। याचिका में कहा गया कि अधिनियम में वृद्धजनों के कल्याण के प्रावधान होने के बावजूद सरकार आज तक इस अधिनियम को लागू नहीं कर पाई है। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने राज्य सरकार को अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के निर्देश देते हुए एक साल में आवश्यक संसाधनों का इंतेजाम करने के निर्देश दिए हैं।

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