लखनऊ। बल्यू व्हेल गेम यह मौत का खेल बड़ा ही खतरनाक है इस खेल में अब तक सैंकड़ों लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं। भारत सरकार ने भी इस मामले में तत्परता दिखाते हुए तुरन्त प्रभाव से सारी वेबसाईटों से इस गेम के लिंक को हटाने के निर्देश दिए हैं। इस गेम की पकड़ में ज्यादातर बच्चे हैं जो कि इस गेम में इतने खो जाते हैं कि उन्हें पता ही नहीं होता की वे क्या कर रहे हैं। यह गेम अब लखनऊ के स्कूलों में कदम रख चुका है। आर्मी पब्लिक स्कूल के दस वर्षीय छात्र आलमबाग के सिंगारनगर निवासी पार्थ होरा की तरह कई बच्चे इस सुसाइड चैलेंज गेम में रात-दिन उलझे हुए हैं। शुरूआती दौर में बच्चों के लिए एडवेंचर गेम ब्ल्यू व्हेल धीरे-धीरे उन्हें नफरत, हिंसा और खौफ की ऐसी दुनिया में ले जा रहा है जहां अंत में उन्हें अपनी जान की कीमत चुकानी होती है। पार्थ होरा खुशकिस्मत था कि माता-पिता को समय रहते उसके इस गेम के शिकंजे में फंसा होने का पता चल गया।
साइबर क्राइम एक्सपर्ट और एथिकल हैकर नितनेम सिंह बेहद चौंकाने वाली बात बताते हैं। वे कहते हैं राजधानी का शायद ही कोई ऐसा हाई क्लास स्कूल हो, जहां के बच्चे ब्ल्यू व्हेल के जाल में न फंसे हों। फिलहाल पार्थ होरा का केस सामने आ चुका है जबकि पांच और बच्चों के पैरेंट्स साइकोलॉजिस्ट और अपने परिचित पुलिस अधिकारियों के संपर्क में हैं। साइबर क्राइम एक्सपर्ट के तौर पर नितनेम भी साइबर दुनिया में राजधानी के पांच-छह बच्चों के ब्ल्यू व्हेल गेम के एडमिनिस्ट्रेटर की तलाश कर रहे हैं।