जयपुर। सिटी पैलेस की जनानी ढ्योढ़ी से निकली गणगौर माता की सवारी ने जयपुर की विरासत को एक बार फिर जीवंत कर दिया। शाही ठाटबाट के साथ निकली गणगौर की शोभायात्रा को देखने के लिए जयपुरवासी उमड़ पड़े। बड़ी संख्या में गांवों से भी लोग शोभायात्रा देखने पहुंचे। ग्रामीणों ने दोपहर को ही त्रिपोलिया बाजार और छोटी चौपड़ के बरामदों में जगह सुनिश्चित कर ली। विदेशी सैलानियों के लिए त्रिपोलिया गेट के सामने स्थित हिन्द होटल की टैरेस पर बैठने की व्यवस्था की गई थी। उन्होंने गणगौर की शाही शोभायात्रा को मोबाइल कैमरे में कैद किया। उप मुख्यमंत्री दीया कुमार और पूर्व राजपरिवार की महिलाओं ने प्रारंभ में गणगौर माता का पूजन किया। सबसे पहले सजे धजे गजराज पर पूर्व राज परिवार के शाही पचरंगी ध्वज लिए सिटी पैलेस के द्वार से निकले। त्रिपोलिया गेट पर सवाई मान सिंह गार्ड बैंडवादकों ने शाही धुन बिखेरी। ऊंट, घोड़े, बग्गी के पीछे लोक कलाकारों के समूह लोक नृत्य बिखेर रहे थे। सुर्ख लाल रंग की शाही पोशाक में गणगौर माता की सवारी जैसे ही त्रिपोलिया गेट से आती दिखी तो उपस्थित हजारों लोगों का समूह उत्साह से भर गया। लोगों ने गणगौर माता के जयकारों से त्रिपोलिया बाजार को गुंजायमान कर दिया। शोभायात्रा में लोक कलाकार कच्ची घोड़ी, अलगोजा वादन, कालबेलिया नृत्य, बहरूपिया कला प्रदर्शन का प्रदर्शन करते साथ चल रहे थे। छोटी चौपड़ पर 40 महिला कलाकारों ने घूमर नृत्य की प्रस्तुति दी। जयपुर व्यापार महासंघ की ओर से गणगौर माता की सवारी पर पुष्प वर्षा की गई। बाड़मेर के कलाकारों ने गैर- आंगी एवं सफेद गैर, किशनगढ़ के कलाकारों ने घूमर, चरी नृत्य, शेखावाटी के लोक कलाकारों ने चंग, ढप, बीकानेर के कलाकारों ने पद दंगल, मश्कवादन से लोगों को रोमाचिंत किए रखा। जैसलमेर और बीकानेर के रौबीले जवान शोभायात्रा का आकर्षण का केन्द्र रहे। लोगों ने इनके साथ सेल्फी ली। शाही सवारी को पूरे रजवाड़ी तरीके से सजाया गया था। जिसमें तोप गाड़ी , सुसज्जित रथ, घोड़े और ऊंट शामिल थे। पर्यटक विभाग के उप निदेशक उपेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि दो दिवसीय गणगौर माता की शाही सवारी और शोभायात्रा को देखने के लिए विदेशी सैलानियों के लिए त्रिपोलिया गेट के सामने स्थित हिंद होटल की छत पर विशेष इंतजाम किए गए। जहां पर वीआईपी लाउंज में पर्यटकों के लिए जयपुर के प्रसिद्ध पांरपरिक फूड भी उपलब्ध थे। शाही सवारी देखने आए पर्यटकों का स्वागत सत्कार राजस्थानी परंपरा के साथ किया गया। उत्सव में शामिल होने आए विदेशी सैलानियों के हाथों में मेहंदी लगाने के लिए मेहंदी लगाने वाली महिला को बुलाया गया। गणगौर माता की शोभायात्रा में 100 ये अधिक लोक कलाकार प्रस्तुति देंगे। इससे पूर्व लोकपर्व गणगौर गुरुवार को श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया गया। सुहागिनों और युवतियों ने शृंगार कर पार्वती स्वरूपा गणगौर और शिव स्वरूप ईसर का पूजन किया। सुहागिन महिलाओं ने पति की दीर्घायु, सुख-सौभाग्य और युवतियों ने मनचाहे वर की कामना के साथ ईसर-गणगौर की पूजा की। गौर गौर गणपति, ईसर पूजै पार्वती…की स्वर लहरियों के बीच महिलाओं ने सामूहिक रूप से गणगौर का पूजन किया। इससे पहले महिलाएं सिर पर मंगल कलश धारण कर गीत गाती हुई दूब और जल लेकर आईं। गणगौर को जल से स्नान कराकर दूब, रोली, मोली, हल्दी, काजल सहित अन्य सामग्री अर्पित की। माता को घेवर और गुणा का भोग लगाया। कई विवाहिताओं ने गणगौर का उद्यापन भी किया। सोलह सुहागन स्त्रियों को सोलह शृंगार की वस्तुएं देकर भोजन करवाया। नवविवाहिताओं में गणगौर पूजन के लिए खास उत्साह दिखा। गणगौर माता को गीतों के साथ जल स्त्रोत में विसर्जन किया गया। कॉलोनियों के कुएं, बावडिय़ों सहित आमेर के मावठे, जलमहल अन्य जलाशयों में विसर्जन किया गया।

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