लखनऊ। यूपी में अखिलेश यादव सरकार में मंत्री रहे व दुष्कर्म के आरोपों के बाद जेल की हवा खाने वाले सपा नेता गायत्री प्रजापति को जमानत के मामले में एक नया खुलासा हुआ है। गायत्री प्रजापति की जमानत को लेकर इलाहबाद हाईकोर्ट की जो रिपोर्ट सामने आई है।
उसमें यह दावा किया गया है कि गायत्री को जमानत देने के लिए 10 करोड़ रुपए की रिश्वत दी गई थी। इस डील में एक बड़े जज के शामिल होने की बात सामने आई है। वैसे बता दें गायत्री प्रजापति को दुष्कर्म मामले में जमानत मिलने के बाद से ही विवादों का बंवडर उठ गया था। इस मामले में अदालत ने इसकी जांच के आदेश दिए। जो रिपोर्ट सामने आई उसके अनुसार बेदह संवेदनशील मामलों की सुनवाई करने वाली अदालतों के जजों द्वारा भ्रष्टाचार किया गया। साथ ही गायत्री प्रजापति को जमानत का आदेश जारी करने वाले जज ओपी मिश्रा की पॉस्के जज के रुप में तैनाती भी सवालों के घेरे में आ गई है। बताया गया कि गायत्री को जमानत देने के बदले 10 करोड़ रुपए का लेन-देन किया गया। इसमें 5 करोड़ की राशि तो उन वकीलों को दी गई, जो इस मामले में बिचौलिए के तौर पर सक्रिय थे। जबकि शेष 5 करोड़ रुपए पोस्को जज ओपी मिश्रा व उनकी पोस्टिंग संवेदनशील मामलों की सुनवाई करने वाली कोर्ट के जिला जज राजेंद्र सिंह को दिए गए।
-अच्छी नहीं है जज की छवि
इंटेलिजेंस ब्यूरो ने खुद गायत्री केस से जुड़े जज ओपी मिश्रा की पॉस्को कोर्ट में पोस्टिंग में घूस की बात कही। रिपोर्ट के अनुसार मिश्रा की ईमानदारी संदेह के घेरे में है तो उनकी छवि भी अच्छी नहीं है। इस डील को फिक्स करने के लिए गायत्री को जमानत मिलने के 3-4 हफ्ते पहले मिश्रा के चैंबर में डिस्ट्रक्टि जज और तीनों वकीलों के बीच अनेक बार मीटिंग हुई। अंतिम मीटिंग 24 अप्रैल को हुई। जहां 24 अप्रैल को ही गायत्री ने मिश्रा की कोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दाखिल कर दी।
-हाईकोर्ट रहा गंभीर
इधर गायत्री प्रजापति को जमानत मिलने के मामले में इलाहबाद हाईकोर्ट बेहद गंभीर रहा। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश दिलीप बी भोसले ने इस मामले में जांच के आदेश दिए। जांच के बाद अपनी रिपोर्ट में भोसले ने कहा कि अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायधीश ओपी मिश्रा को 7 अप्रैल को उनकी सेवानिवृत्ति से 3 सप्ताह पहले पॉस्को जज के तौर पर तैनात किया गया। जहां मिश्रा ने गायत्री को 25 अप्रैल को दुष्कर्म के मामले में जमानत दे दी। रिपोर्ट में कहा गया कि 18 जुलाई 2016 को पॉक्सो जज के रूप में लक्ष्मी कांत की तैनाती की गई थी और वह बेहतरीन काम कर रहे थे। उनको हटाकर ही ओपी मिश्रा की तैनाती की गई।
-कोलेजियम ने लिया नाम वापस
इस मामले में जिला जज राजेंद्र सिंह से पूछताछ की जा चुकी है। उनको प्रमोट कर हाईकोर्ट में तैनात करने की तैयारी थी, लेकिन इस मामले में उनका नाम उछलने के बाद सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने उनका नाम वापस ले लिया है। वहीं हाईकोर्ट की एडमिनिस्ट्रेटिव कमेटी ने जज ओपी मिश्रा को उनके रिटायरमेंट से दो दिन पहले 28 अप्रैल को सस्पेंड कर दिया।