जयपुर। लोकसभा चुनाव में भले ही 70 दिन बाकी हो, लेकिन भाजपा और कांग्रेस में प्रत्याशियों के चयन में खासी मशक्कत हो रही है। खासकर कांग्रेस में जबरदस्त मंथन चल रहा है। राजस्थान में कांग्रेस सरकार की जीत के बाद प्रदेश की सभी पच्चीस सीटों पर प्रत्याशी चयन का दबाव ज्यादा है। पच्चीस में से दो सीट अजमेर और अलवर में कांग्रेस सांसद है। ऐसे में सभी पच्चीस सीटों पर प्रत्याशी चयन के लिए कांग्रेस में जबरदस्त मंथन है।
भाजपा में प्रत्याशी चयन का दबाव ज्यादा नहीं है। एकाध सीट को छोड़कर सभी सीटों पर निर्वाचित सांसद को ही टिकट दिया जाएगा। इस बारे में पार्टी हाईकमान ने संकेत भी दे दिए हैं। उधर, कांग्रेस में टिकट चयन के लिए आज दिल्ली में बैठक चल रही है, जिसमें राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत, डिप्टी सीएम और पीसीसी चीफ सचिन पायलट, प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे समेत अन्य पदाधिकारी मौजूद है। सभी पच्चीस सीटों पर प्रत्याशी चयन के लिए फीडबैक लिया जा चुका है, साथ ही संसदीय क्षेत्र के पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं से भी राय ली जा चुकी है। प्रत्याशियों के नाम पर सर्वे रिपोर्ट भी तैयार करवाई गई है। ये सभी रिपोर्ट आज की बैठक में रखी जाएगी। पच्चीस सीटों पर मंथन के बाद तय नाम की सूची राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को सौंपी जाएगी। राहुल गांधी की मुहर के बाद नाम का खुलासा किया जाएगा। संभावना है कि करीब एक सौ सीटों पर कांग्रेस फरवरी में प्रत्याशियों का ऐलान कर सकती है, जिससे उन्हें चुनाव लडऩे का पर्याप्त समय मिल सके।
– पूर्व सांसद बने विधायक, जिताऊ पर संकट
कांग्रेस में जिताऊ प्रत्याशियों का संकट बना हुआ है। इस बार अधिकांश पूर्व सांसद विधायक बन गए हैं। इनमें से कई केबिनेट मंत्री भी बन गए हैं। जयपुर शहर से पूर्व सांसद रहे महेश जोशी, जयपुर ग्रामीण से लालचंद कटारिया, सीपी जोशी नाथद्वारा से चुनाव जीतकर विधायक बन गए हैं। वे मंत्री भी है। ऐसे में करीब एक दर्जन संसदीय क्षेत्र में जिताऊ प्रत्याशी के नाम को लेकर संकट है। विधायकों को सांसद का चुनाव लडाने से सदन में बहुमत का संकट खड़ा हो सकता है। विधायक सांसद का चुनाव लडऩे के मूड में भी नहीं बताए जाते हैं।