delhi. रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए सरकार की नई पहल वित्त मंत्रालय ने कहा, अध्ययन से पता चलता है कि इस साल 70 लाख औपचारिक रोजगार के अवसर सृजित हुए. केंद्रीय बजट 2018-19 में सूक्ष्म लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के लिए 3794 करोड़ रूपये के प्रावधान की घोषणा करते हुए केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि ऐसा इस क्षेत्र को ऋण समर्थन, पूंजी एवं ब्याज सब्सिडी और नवाचार के लिए किया गया है। संसद में आज केंद्रीय बजट 2018-19 को प्रस्तुत करते हुए जेटली ने कहा कि कपड़ा क्षेत्र के लिए 7148 करोड़ रूपये आबंटित किए गए हैं।
वित्त मंत्री ने जोर देकर कहा कि पिछले 3 साल से रोजगार के अवसर सृजित करना और लोगों को रोजगार मुहैया कराना सरकार की प्रमुख नीति रही है। उन्होंने कहा कि हाल में एक स्वतंत्र अध्ययन से पता चला है कि इस साल 70 लाख औपचारिक रोजगार के अवसर सृजित हुए। श्री जेटली ने कहा कि सरकार अगले तीन साल तक सभी क्षेत्रों के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में नए कर्मचारियों के 12 फीसदी वेतन का योगदान जारी रखेगी। वित्त मंत्री ने सभी क्षेत्रों में सावधि रोजगार सुविधा में विस्तार का भी जिक्र किया। उन्होंने रेखांकित किया कि सरकार एमएसएमई क्षेत्र के डूबते खातों और गैर-निष्पादित आस्तियों से प्रभावी तौर पर निपटने के लिए उपायों की जल्द घोषणा करेगी।
एमएसएमई पर कर का बोझ घटाने और बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित करने के एक प्रयास के तहत श्री जेटली ने उन कंपनियों को 25 फीसदी कम दर का लाभ देने की घोषणा की जिन्होंने वित्त वर्ष 2016-17 में 250 करोड़ रुपये तक का कुल कारोबार दर्ज किया। वित्त मंत्री ने कहा, ‘इससे पूरे सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम वर्ग को फायदा मिलेगा जिसमें आयकर रिर्टन दाखिल करने वाली लगभग 99 फीसदी कंपनियां आती हैं।’ उन्होंने विश्वास जताया कि 99 फीसदी के लिए कम कॉरपोरेट आयकर दर से कंपनियों के पास निवेश करने के लिए अतिरिक्त रकम उपलब्ध होगी जिससे रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा।
वित्त मंत्री श्री जेटली ने औपचारिक क्षेत्र में अधिक से अधिक महिलाओं को रोजगार में प्रोत्साहन प्रदान कराने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इससे उनकी आमदनी बढ़ेगी। जेटली ने कहा, ‘कर्मचारी भविष्य निधि एवं विविध प्रावधान अधिनियम 1952 में संशोधन के जरिए पहले तीन साल के दौरान महिला कर्मचारियों का योगदान घटाकर 8 फीसदी करने का प्रस्ताव है जो फिलहाल 12 फीसदी अथवा 10 फीसदी है। जबकि नियोक्ता के योगदान में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।’