जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने लालसोट थाना इलाके से जुडी बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर अदालती समय के बाद सुनवाई करते हुए याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि युवती अपने अभिभावकों की अभिरक्षा में है। ऐसे में उसे सुरक्षा देने का भी कोई औचित्य नहीं है। न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश गोरधन बाढ़दार की खंडपीठ ने यह आदेश लड्डूराम मीणा की ओर से दायर बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज करते हुए दिए। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि उसकी युवती से शादी हो चुकी है।

इसके बावजूद युवती के परिजनों ने उसे बंधक बना रखा है। वहीं 18 अप्रैल को उसकी जबरन शादी भी कराई जा रही है। इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने लडक़ी को पेश होने के आदेश दिए थे। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि पुलिस लडक़ी को लेकर लालसोट से रवाना हो चुकी है। इस पर अदालत ने लडक़ी के पेश होने तक इंतजार किया। वहीं पुलिस ने अदालती समय समाप्त होने के बाद लडकी को पेश किया। इस पर अदालती आदेश से डिप्टी रजिस्ट्रार ने लडकी के बयान दर्ज किए। जिसमें लडकी ने याचिकाकर्ता से शादी होने से इंकार कर दिया। इसके अलावा लडकी ने अपने आप को बंधक रखने से भी इंकार कर दिया। इस पर अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया।

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