अरनिया : भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तोप और बंदूकें भले ही शांत हो गयी हों लेकिन पाकिस्तानी गोलाबारी के कारण सीमावर्ती क्षेत्रों में गिरे गोले वहां रहने वालों लोगों के जान के दुश्मन बने हुए हैं। सुरक्षा बलों ने हालांकि, सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वालों को आगाह किया है कि वह किसी भी गोले को ना छुएं और नाहीं उसके नजदीक जाएं। खास तौर से अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे जम्मू, साम्बा और कठुआ की कृषि भूमि और नियंत्रण रेखा से सटे दो जिलों राजौरी तथा पुंछ के लोगों को इस संबंध में आगाह किया गया है।
इन गोलों की वजह से होने वाली परेशानियों का सबब ऐसा है कि बाहर से अरनिया स्थित अपने घर आये सुखम चंद अपने मकान में नहीं जा सके, क्योंकि वहां मोर्टार का एक गोला गिरा हुआ था। बाद में सुरक्षा बलों को इसकी सूचना दी गयी, जिन्होंने गोले को निष्क्रिय किया और चंद को बचाया। ऐसी ही घटना कोरोटाना में रहने वाले दलजीत सिंह के साथ भी हुई, जिनकी धान की खेत में कई गोले गिरे हुए हैं।
पुलिस के अनुसार, खेतों से कई ऐसे गोले मिले हैं, जिनमें गिरने के बाद विस्फोट नहीं हुआ। आर. एस. पोरा के एसडीपीओ सुरीन्दर चौधरी ने पीटीआई को बताया, आर. एस. पोरा और अरनिया सेक्टरों में गांवों और कृषि भूमि से हमने 30 गोले बरामद किये हैं।
उन्होंने बताया कि इनमें से 11 अरनिया सेक्टर से मिले जबकि 19 आर. एस. पोरा सेक्टर से। इनमें से कई को निष्क्रिय कर दिया गया है। पुलिस ने सेना को पत्र लिखकर बम निरोधक दस्ते का गठन करने और निष्क्रिय किये गये गोलों का पता लगाने का अनुरोध किया है।