नयी दिल्ली। अंग्रेजों के जमाने में डॉक्टर की प्रैक्टिस करने वाली पहली भारतीय महिला और बाल विवाह की प्रथा के खिलाफ खड़ी होने वाली रुखमाबाई राउत के 153वें जन्मदिन पर गूगल ने शानदार डूडल बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। डूडल में रुखमाबाई की आकर्षक रंगीन तस्वीर लगाई गई हैं और उनके गले में आला लटका है। इसमें अस्पताल का एक दृश्य दिखाया गया है जिसमें नर्स बिस्तर पर लेटी महिला मरीजों का इलाज कर रही हैं। सुतार समुदाय के जनार्दन पांडुरंग के घर में 22 नवंबर 1864 को जन्मीं रुखमाबाई की 11 साल की आयु में बगैर उनकी मर्जी के 19 वर्ष के दादाजी भीकाजी के साथ शादी कर दी गई थी। जब रुखमाबाई ने दादाजी के साथ जाने से मना किया तो यह मामला वर्ष 1885 में अदालत में गया।
रुखमाबाई को अपने पति के साथ जाने या छह महीने की जेल की सजा काटने का आदेश सुनाया गया। उस समय उन्होंने बहादुरी के साथ कहा कि वह जेल की सजा काटेंगी। इस मामले को लेकर उस समय अखबारों में कई लेख छपे। अदालत में मुकदमेबाजी के बाद रुखमाबाई ने महारानी विक्टोरिया को पत्र लिखा, जिन्होंने अदालत के आदेश को पलट दिया और शादी को भंग कर दिया। इस मामले पर हुई चर्चा ने ह्यसहमति आयु अधिनियम, 1891ह्ण पारित करने में मदद की जिसमें ब्रिटिश शासन में बाल विवाह पर रोक लगाई। जब रुखमाबाई ने चिकित्सा की पढ़ाई करने की इच्छा जताई तो इंग्लैंड में लंदन स्कूल आॅफ मेडिसिन में उनकी पढ़ाई और यात्रा के लिए फंड जुटाया गया। वह योग्यता प्राप्त फिजिशियन के तौर पर भारत लौटी और कई वर्षों तक महिलाओं के अस्पतालों में अपनी सेवाएं दी। 25 सितंबर 1955 को रुखमाबाई ने अंतिम सांस ली।