jaipur. भारत संचार निगम लिमिटेड की अखिल भारतीय यूनियनों और संघों (एयूएबी) के आह्वान पर कल से शुरू होने वाली तीन दिन की हड़ताल को देखते हुए सरकार (दूरसंचार विभाग) और भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) प्रबंधन एयूएबी के प्रतिनिधियों के साथ यूनियनों और संघों की विभिन्न मांगों के समाधान के तरीकों पर चर्चा कर रहे हैं। दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने हमेशा इस बात पर बल दिया गया है कि सरकार देश के दूरसंचार क्षेत्र में बीएसएनएल की मूलभूत शक्ति और रणनीतिक स्थिति को समझती है। बीएसएनएल को सुदृढ़ और आर्थिक रूप से व्‍यवहार्य बनाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं और किए जाते रहेंगे।

एयूएबी की मुख्य मांगों में तीसरी वेतन संशोधन समिति (पीआरसी) के तहत 01.01.2017 से कार्यकारियों को 15% फिटमेंट के साथ और गैर-कार्यकारियों को 8वें वेतन वार्ता के अनुसार लाभ, बीएसएनएल को 4जी स्पेक्ट्रम का आवंटन, 01.01.2017 से बीएसएनएल के सेवानिवृत्त लोगों के लिए पेंशन संशोधन और पीआरसी कार्यान्वयन के लिए वेतन संशोधन के साथ उसी का परिसीमन तथा बीएसएनएल द्वारा उच्चतम स्‍तर के वेतनमान की बजाय वास्तविक मूल वेतन पर पेंशन के अंशदान के भुगतान को घटाना शामिल हैं।

डीओटी ने फिर कहा है कि इन सभी मांगों के संबंध में विभाग द्वारा सकारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं। असल में 4जी स्पेक्ट्रम के आवंटन के लिए 05.02.2019 को आयोजित डिजिटल संचार आयोग (डीसीसी) की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार, 4जी सेवाएं प्रदान करने के लिए बीएसएनएल को प्रशासनिक आवंटन, मात्रा, मूल्य और उचित आवृत्ति बैंड के मामलों पर सिफारिश देने के वास्‍ते स्पेक्ट्रम आवंटन का मुद्दा भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) को भेजा जा रहा है। उक्त सिफारिश प्राप्‍त होने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

डीओटी, बीएसएनएल प्रबंधन के वरिष्ठ अधिकारियों और एयूएबी के प्रतिनिधियों की समन्वय समिति के रूप में एक संस्थागत व्‍यवस्‍था पहले से ही कार्य कर रही है। एयूएबी के प्रतिनिधियों ने अवर सचिव (दूरसंचार), डीओटी के साथ भी बैठकें की हैं, जिनमें उन्हें उनकी मांगों के संबंध में हुई प्रगति के बारे में बताया गया है। बीएसएनएल प्रबंधन ने अपने कर्मचारियों से अपील की है कि वे इस महत्वपूर्ण मोड़ पर किसी भी आंदोलनकारी कार्यक्रम का सहारा न लें, क्‍योकि संगठन अपने ‘मार्केट-शेयर’ की सुरक्षा और उसे बढ़ाने के लिए ईमानदार तथा गंभीर प्रयास कर रहा है। प्रबंधन ने कहा कि सेवाओं में किसी भी प्रकार के व्यवधान का प्रतिकूल असर बीएसएनएल तथा उसके ग्राहकों, कर्मचारियों और अन्य हितधारकों के हितों पर पड़ सकता है।

सरकार पुनः इस बात पर बल देना चाहती है कि वह बीएसएनएल प्रबंधन और बीएसएनएल की यूनियनों तथा संघों के प्रतिनिधियों के साथ उनकी उचित मांगों का समर्थन करेगी और संगठन के पुनरुद्धार के लिए मार्गदर्शन देती रहेगी। सरकार को आशा है कि बीएसएनएल के कर्मचारी और अधिकारी ऐसे समय हड़ताल पर जा कर अपने संगठन के हितों को खतरे में नहीं डालेंगे,क्‍योंकि निर्बाध, उच्च-गुणवत्तापरक सेवाएं प्रदान करके वे अपने ग्राहक-आधार और राजस्व को सुरक्षित कर सकते हैं।

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