नयी दिल्ली। जीएसटी एकमुश्त योजना को अधिक आकर्षक बनाने के लिये गठित मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने विनिर्माताओं और रेस्तराओं के लिये कर की दरों में कमी जाने का सुझाव दिया है और इसे एक प्रतिशत रखने की सिफारिश की है। अभी एकमुश्त योजना के तहत जहां विनिर्माताओं को जीएसटी के तहत दो प्रतिशत की दर से कर का भुगतान करना होता है वहीं रेस्तराओं के लिये यह 5 प्रतिशत है। व्यापारी फिलहाल एक प्रतिशत कर का भुगतान करते हैं। असम के वित्त मंत्री हेमंत विश्व शर्मा की अध्यक्षता वाला जीओएम ने एकमुश्त योजना के दायरे में नहीं आने वाले एयर कंडीशन और बिना एयर कंडीशन (एसी) रेस्तरां के बीच अंतर को समाप्त करने का भी सुझाव दिया है। समिमित ने इस योजना के दायरे में न आने वाले रेस्त्रां पर जीएसटी की दर 12 प्रतिशत रखने का सुझाव दिया है। जीओएम के अनुसार जिन होटलों में कमरों का किराया 7,500 रुपये से अधिक है, उस पर 18 प्रतिशत की दर से कर लगाया जाना चाहिए।
एकमुश्त योजना (कंपोजीशन) उन विनिर्माताओं, रेस्तराओं और व्यापारियों के लिये है जिनका कारोबार एक करोड़ रुपये से अधिक नहीं है। पूर्व में यह सीमा 75 लाख रुपये थी और जीएसटी परिषद ने इस महीने एक अक्तूबर से यह सीमा बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर दी। व्यापारियों के संदर्भ में जीओएम ने कराधान के लिये दो तरफा नीति अपनाने का सुझाव दिया है। इसका सुझाव है कि जो व्यापारी कर मुक्त वस्तुओं की बिक्री से प्राप्त राशि को अपने कोबार से अलग करना चाहते हैं, वे एक प्रतिशत की दर से जीएसटी दें और जो व्यापारी अपने कुल कारोबार के आधार पर कर दें उनके लिए जीएटी दर 0.5 प्रतिशत रखी जाए। एक अधिकारी ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘जीओएम ने निर्णय किया है कि एकमुश्त योजना के तहत रेस्तरां और विनिर्माताओं के लिये कर की दर को कम कर एक प्रतिशत किया जाए। व्यापारियों के लिये दो कर की दरों का सुझाव दिया गया है।’’ उसने कहा कि जीओएम ने यह भी सिफारिश की है कि दो राज्यों के बीच व्यापार करने वाली कंपनियों को एकमुश्त योजना का लाभ लेने की अनुमति दी जाए।करीब 15 लाख कंपनियों ने एकमुश्त योजना का विकल्प चुना है। इसके तहत उन्हें रियायती दर पर कर का भुगतान करना होता है और एक जुलाई से लागू माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत उनके लिये अनुपालन को आसान बनाया गया है। जीएसटी के तहत एक करोड़ से अधिक कंपनियां पंजीकृत हैं।’’ जहां नियमित करदाता को मासिक आधार पर कर देना होता है वहीं एकमुश्त योजना के तहत आपूर्तिकता को केवल एक रिटर्न भरने की आवश्यकता होती है और तिमाही आधार पर कर देना होता है।
साथ ही एकमुश्त योजना के तहत करदाता को विस्तृत रिकार्ड रखने की आवश्यकता नहीं होती जबकि सामान्य करदाता के साथ इसका रखरखाव करना होता है। जीओएम का गठन इस माह की शुरूआत में किया गया। उसे विभिन्न श्रेणी के रेस्तरां के कर ढांचे पर पुनर्विचार करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। इसका मकसद दरों को युक्तिसंगत बनाना है। फिलहाल बना एसी वाले रेस्तरां पर 12 प्रतिशत जबकि एसी वाले रेस्तरां पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है। जीओएम के अन्य सदस्य बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशील मोदी, जम्मू कश्मीर के वित्त मंत्री हसीब द्राबू, पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल और छत्तीसगढ़ के वाणिज्यक कर मंत्री अमर अग्रवाल शामिल हैं।