jaipur .रीट परीक्षा नकल मामले में हुए खुलासे और गिरफ्तारियों ने राजस्थान में प्रतियोगी परीक्षाओं को कठघरे में खड़ा कर दिया। साथ ही लाखों बेरोजगार युवाओं के रोजगार पाने के सपनों को धक्का लगा है। रीट परीक्षा में तीन दर्जन पेपर खरीदने वाले व बेचने वाले तो गिरफ्तार हुए है, साथ ही नकल गैंग को पेपर मुहैया करवाने में शामिल अधिकारी की गिरफ्तारी से साफ है कि रीट परीक्षा में बड़ा खेल हुआ है। विपक्ष के नेता लगातार सरकार के एक पूर्व व एक वर्तमान मंत्री पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं कि इनकी भूमिका भी संदिग्ध रही है। आरोपों में कितना दम है और कितना नहीं है, यह एसओजी की जांच में साफ हो जाएगा। रीट परीक्षा को राजस्थान हाईकोर्ट में भी चुनौती दे रखी है। वहीं आज पटवारी भर्ती परीक्षा के सवाल-जवाब को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका लगी है। एक के बाद एक परीक्षा संदेह के घेरे में आ रही है। इससे सरकार की कार्यशैली पर तो प्रश्नचिन्ह लग रहा है, साथ ही सबसे ज्यादा नुकसान प्रतियोगी परीक्षा देने वाले युवाओं का हो रहा है। सरकारी नौकरी की इच्छा लिए हुए युवा दो से पांच साल तक प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। महंगी कोचिंग लेते हैं। किराये के कमरों या हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करते हैं। परीक्षा की तैयारी में ही हर साल एक से दो लाख रुपये खर्च हो जाते हैं। इसके बाद भी परीक्षाएं समय पर नहीं होने और होने के बाद भी पेपर आउट होने, पेपर बिकने जैसी घटनाएं सामने आती है तो युवाओं को गहरा धक्का लगता है। हाल ही एक नौजवान ने पटवारी परीक्षा के रिजल्ट आने से पहले ही सुसाइड भी कर लिया था। उसे डर था कि जिस तरह से नकल हो रही है और पेपर बेचे जा रहे हैं, ऐसे माहौल में वह सफल नहीं हो सकता। भर्तियों में गड़बड़ी से युवा ही नहीं अभिभावक भी परेशान है। आर्थिक बोझ अभिभावकों पर ही पड़ रहा है। परीक्षा में सफल नहीं होने पर युवा डिप्रेशन में भी आ जाते हैं। प्राइवेट सेक्टर में नौकरी तो हैं, लेकिन वेतन भत्ते ठीक नहीं है। लंबे समय तक प्राइवेट सेक्टर में जॉब सुरक्षित नहीं है और ना ही सामाजिक सुरक्षा है। यहीं कारण है कि युवाओं की पहली पसंद सरकारी नौकरी है। सरकारी नौकरी में वेतन भत्ते तो अच्छे हैं, साथ ही नौकरी भी सुरक्षित रहती है। समाज में प्रतिष्ठा बनी रहती है। यहीं कारण है कि हर कोई सरकारी नौकरी चाहता है। चाहे वह बाबू की हो या अधिकारी की। अब तो चपरासी और सफाई कर्मियों की भर्ती में भी स्नातक, एमबीए धारी भी आवेदन करने लगे हैं। एक पोस्ट पर सैकड़ों की तादाद में आवेदन आते हैं। पटवारी, पुलिस भर्ती परीक्षा में तो दस लाख से अधिक आवेदन आए हैं। इन सब के बीच परीक्षा करने वाले सरकारी तंत्र से युवाओं को मायूसी ही हाथ लग रही है। ना तो समय पर एग्जाम हो पाते हैं। अगर हो जाते हैं कोई ना कोई कमी के चलते परीक्षाएं कोर्ट कचहरी में अटकती रहती है। रिजल्ट रुके रहते हैं। जारी हो जाते हैं तो कोर्ट के निर्णयााधीन रहते हैं। परीक्षा करवाने के नाम पर लगने वाले शुल्कों से सरकारी खजाना भर रहा है, लेकिन युवाओं की जेबें खाली हो रही है। युवाओं के दर्द को भी सरकार और शासन को समझना चाहिए। जिस तरह से यूपीएससी का परीक्षाएं समयबद्ध और निष्पक्ष तरीके से होती है, उसी तरह आरपीएससी व अन्य एजेंसी को परीक्षा करवानी चाहिए। इसके लिए यूपीएससी की तर्ज पर परीक्षा तंत्र लागू करना चाहिए। यह बिना सरकार और प्रशासन की इच्छा शक्ति के नहीं हो सकता है। सरकार को हर विभाग से खाली पदों की सूचना लेकर नियमित तरीके से भर्ती परीक्षा का आयोजन करवाना चाहिए। पेपर बिके नहीं और ना ही आउट हो, इसके लिए सरकार को कठोर व्यवस्था करनी होगी। अगर सरकार यह कर पाती है तो प्रदेश के लाखों युवाओं को समयबद्ध तरीके से रोजगार मिल पाएगा और उनका समय और पैसा भी बर्बाद होने से बचेगा। वहीं सरकार को प्रशंसा मिलेगी सो अलग।

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