Namami Ganga

नयी दिल्ली:  गंगा नदी को निर्मल एवं अविरल बनाने की ‘नमामि गंगे’ परियोजना के अमल पर उठे सवालों के बीच सरकार ने कहा है कि 140 परियोजनाएं लागू होने के विभिन्न चरणों में है तथा गंगा की स्वच्छता से जुड़ी परियोजनाओं की उचित निविदा प्रक्रिया को पारदिर्शिता के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है ।जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने ‘‘भाषा’’ को बताया कि कई चीजें साथ साथ चल रही है । परियोजनाओं को ठीक ढंग से और पारदर्शिता के साथ पूरा करने के लिये उचित निविदा प्रक्रिया पूरा करना जरूरी है। इससे तकनीकी एवं वित्तीय पहलु जुड़े होते हैं। अनेक परियोजनाओं के संबंध में निविदा प्रक्रिया अंतिम चरण में हैं ।

नमामि गंगे परियोजना के तहत 187 परियोजनाओं को लिया गया है जिसमें से 47 परियोजनाओं पर काम पूरा हो गया है । इसमें से 140 परियोजनाओं का काम पूरा होने के विभिन्न चरणों में है । अब तक इन परियोजनाओं के लिये 16,713.17 करोड़ रूपये मंजूर किये जा चुके हैं ।उत्तराखंड में 39 परियोजनाओं में से 13 पूरी हो चुकी हैं जबकि 26 परियोजनाएं पूरा होने के विभिन्न चरणों में है । उत्तराखंड की इन परियोजनाओं के लिये 1272 करोड़ रूपये मंजूर किये गए हैं । इसी प्रकार से उत्तरप्रदेश में 44 परियोजनाओं में 4 पूरी हो चुकी हैं जबकि 44 परियोजनाएं क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में है । उत्तरप्रदेश की इन परियोजनाओं के लिये 5733 करोड़ रूपये मंजूर किये गए हैं ।

नमामि गंगे परियोजना के तहत बिहार में 27 परियोजनाओं में से एक भी पूरा नहीं हुआ है और सभी 27 परियोजनाएं पूरा होने के विभिन्न चरणों में है । इन परियोजनाओं के लिये 4544 करोड़ रूपये मंजूर किये गए हैं । झारखंड में 7 परियोजनाओं में से एक भी परियोजना पूरी नहीं हुई है । झारखंड की इन परियोजनाओं के लिये 348 करोड़ रूपये मंजूर किये गए हैं ।पश्चिम बंगाल में 40 परियोजनाओं में से 26 पूरी हो चुकी हैं। इन परियोजनाओं के लिये 2058 करोड़ रूपये मंजूर किये गए। दिल्ली में 3 परियोजनाओं पर काम चल रहा है और सभी तीनों परियोजनाएं पूरा होने के विभिन्न चरणों में है । इनके लिये 1820 करोड़ रूपये मंजूर किये गए । हरियाणा में 2 परियोजनायें विभिन्न चरणों में है । इसके लिये 2017 करोड़ रूपये मंजूर किये गए हैं ।

मंत्रालय का कहना है कि परियोजनाओं के पूरा होने में देरी के कई कारण है जिसमें निविदा प्रक्रिया, पुनर्निविदा, भूमि की अनुपलब्धता, कानूनी मुद्दे, प्राकृतिक आपदाएं, स्थानीय प्रशासन से मंजूरी मिलने में देरी जैसे विषय शामिल हैं ।मेघवाल ने कहा कि गंगा की सफाई सुनिश्चित करने के लिये धन की कोई कमी नहीं है । लेकिन यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि सतत रूप से नदी की साफ सफाई सुनिश्चित की जाए। इस उद्देश्य के लिये मंत्रालय ने जल क्रांति अभियान शुरू किया है जिसके तहत गंगा गांव, जल मित्र और महिला मित्रों को जोड़ा जा रहा है। जनभागीदारी को बढ़ावा दिया जा रहा है।

मंत्रालय ने नमामि गंगे परियोजना से संबंधित 295.01 करोड़ रुपए लागत की पाँच परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है। इनमें से 278.6 करोड़ रुपए लागत की तीन परियोजनाएं पश्‍चिम बंगाल में जल-मल प्रबंधन से संबंधित हैं। 4.68 करोड़ रुपए की एक परियोजना उत्‍तराखंड में जल-मल प्रबंधन से संबंधित है और 11.73 करोड़ रुपए लागत की एक अन्‍य परियोजना वाराणसी में घाटों के सुधार से संबंधित है।इसके साथ ही गंगा नदी के किनारे स्‍थित उच्‍च प्रदूषण वाले सभी शहरों के लिए जल-मल प्रबंधन की सभी परियोजनाओं को स्‍वीकृत किया जा चुका है।

पश्‍चिम बंगाल के लिए जिन परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है उसमें हाईब्रिड एनयूटी प्रणाली पर आधारित 172.10 करोड़ रुपए लागत की कामरहाटी और बाड़ानगर नगर पालिकाओं में 60 एमएलडी क्षमता वाला जल-मल शोधन संयंत्र लगाना और सीवर लाइनों की सफाई शामिल है। 52.20 करोड़ रुपए की लागत से बेरहामपुर नगर पालिका में गंगा नदी पर 3.5 एमएलडी लागत का जल-मल संयंत्र लगाया जाएगा और साथ ही सीवर नेटवर्क भी सुधारा जाएगा। नवद्वीप नगर पालिका में 54.30 करोड़ रुपए की लागत से 9.5 एमएलडी का एक जल-मल शोधन संयंत्र लगाया जाएगा और 10.5 एमएलडी वाले एक जल-मल शोधन संयंत्र का पुनर्रुद्धार किया जाएगा। उत्‍तराखंड में 4.68 करोड़ रुपए की लागत से हरिद्वार के कुछ इलाकों में सीवर लाइनें बिछाने की योजना है।

वाराणसी में 11.73 करोड़ रुपए की लागत से विभिन्‍न घाटों की मरम्‍मत और इनका सौंदर्यीकरण किया जाएगा जिसमें घाटों में मजबूत पत्‍थर लगाकर वहाँ की सीढ़ियों को सुधारा जाएगा ताकि यात्रियों को उस पर चलते समय किसी प्रकार की असुविधा और खतरा न हो। मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि पिछले तीन वर्षो में 5 राज्यों उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में 123 नये घाटों का निर्माण किया गया है, साथ ही 65 नये श्मशान गृहों का भी निर्माण हुआ है ।जून 2017 तक नमामि गंगे परियोजना के तहत 3234 गांव को खुले में शौच से मुक्त बनाया गया है और शौचालयों का निर्माण किया गया है ।

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