जयपुर। जीएसटी को लेकर हर किसी के मन में एक संकोच से उठ रहा है कि कहीं उनकी रसोई के बजट पर असर तो नहीं पड़ेगा। जीएसटी के प्रभावी होने के साथ ही महंगाई का ग्राफ फिर कहीं तेजी से तो नहीं बढ़ेगा। वहीं व्यापारियों भी जीएसटी को लेकर उलझन की स्थिति में है।
फिर भी जीएसटी का असर बिजनसमैन व कंज्यूमर दोनों ही असर पड़ेगा। हालांकि खाद्य वस्तुओं पर जीएसटी का प्रतिशत अधिक नहीं है। फिर भी जीएसटी लागू होने के बाद ही यह तय हो पाएगा कि इसका असर व्यापारियों के साथ आमजन पर असर पड़ेगा ही। एक सर्वे में यह सामने आया है कि कंज्यूमर को घरेलु या रसोई के लिहाज से राहत देने का प्रयास किया गया है। वहीं सर्विस से जुड़ी चीजों मसलन घूमना-फिरना, रेस्त्रां जाना, फोन का इस्तेमाल सरीखी चीजों पर दोहरी मार देखने को मिलेगी। अभी तक इन चीजों पर 15 प्रतिशत फ्लैट रेट के हिसाब से सर्विस टैक्स वसूला जाता था। अब अलग-अलग स्लैब के हिसाब से 28 प्रतिशत तक टैक्स वसूला जाएगा।
-जीएसटी: इन वस्तुओं पर 5 प्रतिशत है
अगरबत्ती, चीनी, चाय पत्ती, कॉफी के भूने दाने, खाद्य तेल, स्किम्ड दूध पाउडर, शिशुओं के लिए दूध का आहार, पैक्ड पनीर, कॉयर मेट, काजू, किशमिश, पीडीएस केरोसीन, घरेलु एलपीजी, 500 रुपए तक के जूते-चप्पल, एक हजार रुपए तक के कपड़े
-जीएसटी: इन वस्तुओं पर 12 प्रतिशत है
मक्खन, घी, बादाम, फू्रट ज्यूस, पैक्ड नारियल पानी, सब्जियां, फल, नटस, पौधों के अन्य भागों से निर्मित आचार मसलन मुरब्बा, आचार, चटनी, जैम और जैली, छाता व मोबाइल।
-जीएसटी: इन वस्तुओं पर 18 प्रतिशत है
हेयर ऑयल, टूथपेस्ट, साबुन, पास्ता, कॉर्न फ्लैक्स, सूप, आईसक्रीम, ट्रॉयलेट्रीज, कम्प्यूटर, प्रिंटर।
लाना होगा आदतों में बदलाव
अगर आप जीएसटी में बिना चिंता के जीवन को जीना चाहते हैं तो आपको आदतों में बदलाव करना होगा। मसलन अगर आप टैक्स भरने में लापरवाही करते हैं, सही तरीके से रिटर्न नहीं भरते हैं, अधूरी रिटर्न भरते हैं तो आपको पैनल्टी के तौर पर 10 हजार रुपए तक का जुर्माना भरना होगा। इसी तरह जीएसटी कानून के अनुसार हर माह व तय तारीख तक रिटर्न भरना होगा, साथ ही जो जीएसटी आपने लिया है उसे भी समय पर सरकार को देना होगा। यदि आपने समय पर सरकार को नहीं दिया तो यह अपराध माना जाएगा और कानूनी कार्रवाई संभव हो सकती है। क्योंकि जीएसटी में प्रावधान है कि जीएसटी को समय पर सरकार को नहीं देना एक अपराध है। इसी तरह जीएसटी के तहत हर प्रकार की खरीद व बिक्री का ब्यौरा रखना जरुरी है। अगर आप इस मामले में लापरवाह हैं तो सुधार लें। हिसाब अगर सही नहीं होगा तो रिटर्न अधूरा होगा ऑनलाइन रिकॉर्ड होने से छोटी सी चूक भारी पड़ेगी और आप टैक्स चोरी के दायरे में आ सकते हैं। जिसमें आपको सजा भी हो सकती है। ऐसे में आप आदतों में बदलाव करें और समय पर जीएसटी अदा कर टैंशन फ्री जीवन व्यतित करें।