नयी दिल्ली: गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी ने आज कहा ‘पद्मावती’ फिल्म भावनाओं को आहत कर रही है और इससे जुड़े मुद्दों का हल होने तक राज्य में इसे रिलीज नहीं होने दिया जाएगा। वहीं, एक संसदीय समिति ने इस विषय पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और सेंसर बोर्ड से एक रिपोर्ट मांगी है। याचिकाओं पर लोकसभा की कमेटी फिल्म से जुड़े विषय पर विचार करेगी। दरअसल, राजस्थान से भाजपा के दो सांसदों -सीपी जोशी और ओम बिड़ला ने फिल्म में आपत्तिजनक विषय वस्तु को लेकर एक याचिका दी थी। इस फिल्म को इतिहासकारों और राज परिवार के वंशजों को दिखाया जाना चाहिए।
कमेटी का नेतृत्व कर रहे भाजपा नेता भगत सिंह कोशियारी ने कहा, ‘‘समिति ने इस विषय को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और सेंसर बोर्ड के पास भेजा है। इसने उनसे 30 नवंबर से पहले एक रिपोर्ट सौंपने को कहा है।’’ इस बीच, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने चंडीगढ़ में कहा कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के इस पर फैसला करने के बाद राज्य में इस फिल्म के प्रदर्शन पर कोई फैसला लिया जाएगा।
हालांकि, उन्होंने हरियाणा भाजपा मुख्य मीडिया संयोजक सूरजपाल सिंह अमू की उस टिप्पणी से दूरी बना ली, जिसमें उन्होंने इस फिल्म के निर्देशक संजय लीला भंसाली या मुख्य अदाकारा दीपिका पादुकोण का सिर कलम करने वाले को 10 करोड़ रूपये का इनाम देने की पेशकश की थी। खट्टर ने कहा कि भाजपा ने अमू को एक कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है। उन्होंने राज्य के इस नेता के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज होने का भी जिक्र किया। दरअसल, भंसाली के निर्देशन में बनी इस फिल्म को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। श्री रापजूत करणी सेना ने कहा है कि इसकी रील को जौहर की आग के हवाले कर दिया जाएगा।
वहीं, फिल्म के खिलाफ प्रदर्शन का नेतृत्व कर रही करणी सेना के प्रमुख लोकेंद्र सिंह काल्वी ने नयी दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, ‘‘इसकी रील जौहर की आग के हवाले कर दी जाएगी।’’ उन्होंने दीपिका को आड़े हाथ लेते हुए कहा , ‘‘दीपिका पादुकोण कौन हैं? क्या वह राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री हैं? फिल्म को किसी कीमत पर रिलीज होने की इजाजत नहीं दी जाएगी।’’ काल्वी ने यह आरोप भी लगाया कि उन्हें अज्ञात नंबरों से जान से मारने की धमकी मिली है, इनमें से एक नंबर कराची का है। भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने इस फिल्म से जुड़े विवाद को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी और बॉलीवुड के प्रमुख कलाकारों की चुप्पी पर सवाल उठाया है।
सिन्हा ने ट्विटर पर कहा, ‘‘ऐसा कैसे है कि हमारी सूचना और प्रसारण मंत्री या हमारे सबसे लोकप्रिय माननीय प्रधानमंत्री (पीईडब्ल्यू के अनुसार) इतने खामोश हैं। अब वक्त आ गया है!’’ पटना साहिब सीट से भाजपा के सांसद सिन्हा ने यह भी पूछा कि अमिताभ बच्चन, शाहरूख खान और आमिर खान, संजय लीला भंसाली की फिल्म को लेकर उठे विवाद पर चुप क्यों हैं? गुजरात के मुख्यमंत्री भी इस फिल्म पर ऐतराज जताने वाले भाजपा शासित अन्य राज्यों – उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के साथ खड़े हो गए हैं। रूपानी ने घोषणा की कि गुजरात सरकार राज्य में इस फिल्म की रिलीज को इजाजत नहीं देगी क्योंकि यह राजपूतों की भावनाओं को आहत कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने इतिहास को विकृत नहीं करने देंगे। हम वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में यकीन रखते हैं लेकिन हमारी महान संस्कृति से किसी तरह के खिलवाड़ की इजाजत नहीं दी जाएगी। ’’ उन्होंने राज्य में होने वाले आगामी चुनावों का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार ने कानून व्यवस्था के हित में फैसला लिया है क्योंकि यह कोई विवाद नहीं चाहती।
रूपानी ने अहमदाबाद में कहा, ‘‘इस फिल्म के साथ कुछ चिंताएं हैं और हमारी सहानूभूति उन लोगों के साथ है जो फिल्म के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और यही कारण है कि मुद्दों का हल होने तक हम राज्य में इसकी रिलीज को इजाजत नहीं देंगे।’’ इस बीच, माकपा ने आरोप लगाया कि भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भीड़ को उकसा रहे हैं।
पार्टी के मुखपत्र ‘पीपुल्स डेमोक्रेसी’ के आगामी अंक में एक संपादकीय में माकपा के पूर्व महासचिव प्रकाश करात ने इस फिल्म को लेकर होने वाले प्रदर्शनों की तुलना गौ रक्षकों से की और कहा कि ‘भीड़ का शासन’ मोदी राज का हालमार्क बन गया है। उन्होंने इस बात का जिक्र किया भंसाली और दीपिका को मिली धमकियों के सिलसिले में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि पद्मावती पर रोक लगाने की कोशिशें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक लगाने की कोशिश है।