Sadhvi sexual abuse, Sadhvi misdemeanor case, Baba Gurmeet Ram Rahim Isan, CBI court, convict, Sirsa Dera headquarters, army capture, Dera supporter deaths, General Prison, Samaratya Jail Haryana
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delhi. दो साध्वी से बलात्कार के जुर्म में गुरमीत राम रहीम सिंह को सुनाई गई 20 साल की सज़ा का स्वराज इंडिया स्वागत करता है। उम्मीद है कि इसके साथ ही न्याय के लिए चले एक लंबे संघर्ष का अंत होगा जिसमें हमारी न्याय-व्यवस्था पर देश की नज़र थी। हम सीबीआई अदालत के न्यायाधीश को सलाम करते हैं जिन्होंने हर तरह के दबाव का सामना करते हुए राजनीतिक शह मिले इस ताक़तवर व्यक्ति को सज़ा सुनाई। हम उम्मीद करते हैं कि ताक़तवर लोगों द्वारा महिलाओं के शोषण के मुद्दे पर से हमारा ध्यान नहीं हटेगा। साथ ही, पिछले सप्ताह भर देश और प्रदेश के संवैधानिक संस्थानों, सरकारों और नेताओं की भूमिका का आंकलन भी ज़रूर होगा।
 गुरमीत राम रहीम पर सीबीआई अदालत के आये फैसले के बाद हरियाणा हिंसा की आग में झुलस रहा है। राज्य की कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गयी है। इस फैसले ने जहाँ एक तरफ डेरा से राजनीतिक पार्टियों के गठजोड़ का खुलासा किया है, वहीँ दूसरी तरफ हिंसा और तोड़फोड़ रोकने में हरियाणा सरकार की नाकामियों का भी पर्दाफाश किया है। इस पूरे घटनाक्रम में केवल न्यायपालिका ही संवैधानिक दायित्वों की रक्षा करती नज़र आ रही है।
तीन साल में यह तीसरी घटना है जब हरियाणा सरकार राज्य में कानून-व्यवस्था को बनाये रखने में विफल साबित हुई है। इस बार की घटना न केवल प्रशासनिक तंत्र में चूक (जैसा रामपाल मामले और जाट आंदोलन के दौरान राज्यव्यापी हिंसा के रूप में हुआ था) की ओर इशारा करता है बल्कि उच्च राजनीतिक पदों पर बैठे लोगों के निहित स्वार्थ को भी दर्शाता है। इस प्रकार हिंसा और तोड़फोड़ रोकने की सरकार की इच्छाशक्ति भी संदेह के घेरे में है। इस बार की घटना इस मामले में भी भिन्न है की न्यायालय, खुफिया एजेंसियों एवं मीडिया ने सरकार को पहले ही आगाह कर दिया था। घटना का चरित्र, समय, तारीख, स्थान, आदि पता होने के बाबजूद सरकार अगर डेरा समर्थकों द्वारा की गयी व्यापक हिंसा, तोड़फोड़ और आगजनी को नहीं रोक पाती है तो इसमें सीधे तौर पर सरकार दोषी है। हिंसा में अब तक 38 जानें जा चुकी है, ऐसे में सरकार से कुछ सवाल पूछे जाने चाहिए.

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