नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा कि देश के हाईकोट्र्स में जजों की करीब 500 पोस्ट्स खाली हैं लेकिन सरकार कोई सुविधा देने को तैयार नहीं है। इसलिए ये पोस्ट्स भरी नहीं जा सकीं। देश के कोर्ट रूम खाली पड़े हैं। मैं अपने साथियों को ट्रिब्यूनल में कैसे भेज दूं। एक प्रोग्राम के दौरान ठाकुर ने कहा कि ज्यूडिशियरी ट्रिब्यूनल बनाने के खिलाफ नहीं है क्योंकि इससे उसका बोझ कुछ हद तक कम होगा। लेकिन दिक्कत येे है कि वहां इन्फ्र ास्ट्रक्चर की कमी है। ठाकुर ने कहा आज हालात ये हैं कि सुप्रीम कोर्ट का कोई रिटायर्ड जज ट्रिब्यूनल में जाना नहीं चाहता। मैं भी अपने रिटायर्ड साथियों को वहां भेजने में दुख महसूस करता हूं। सरकार प्रॉपर फैसेलिटीज देने को तैयार नहीं है। गौरतलब है कि ज्युडिशियरी द्वारा नेशनल ज्यूडिशियल कमीशन का ऑफ र ठुकरा दिए जाने के बाद से केन्द्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट में टकराव के हालात हैं। 28 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फ टकार लगाते हुए कहा था कि कॉलेजियम द्वारा 9 महीने पहले ही जजों के नामों को मंजूर किए जाने के बाद भी इनका अप्वॉइंटमेंट नहीं हो सका है। उस दौरान कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से कहा था, क्या आप कोर्ट और जजों को बंद कर देना चाहते है। जजों के अप्वॉइंटमेंट के लिए कॉलेजियम से भेजे गए 43 नाम लौटाने के केन्द्र सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने 18 नवंबर को नामंजूर कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार इन नामों पर 3 हफ्ते के अंदर दोबारा विचार करे। कॉलेजियम ने हाईकोर्ट में जजों की भर्ती के लिए 77 नामों की लिस्ट केंद्र के पास भेजी थी। केन्द्र ने इनमें से 34 नाम मंजूर करके 43 नाम लौटा दिए थे। सरकार ने कहा था कि जिन जजों के नामों को लौटाया गया ह,ै उनके खिलाफ गंभीर किस्म की शिकायतें थीं।