जयपुर। प्रदेश में राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं और कार्यक्रमों में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के सरोकारों सेे जुड़ी गतिविधियों ने आमजन में अच्छी साख कायम की है और इसकी वजह से गरीब परिवारों के लोगों को खासा लाभ मिल रहा है। प्रदेश में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम बीमारियों से प्रभावित बच्चों की जिन्दगी में उजियारा भर रहा है। इससे बच्चे गंभीर बीमारियों से मुक्ति पाकर नई जिन्दगी जी रहे हैं।

दौसा जिला मुख्यालय के समीपवर्ती गांव अखैपुरा स्थित महेश शर्मा के घर में खुशी तो थी, लेकिन वह न तो दिखती थी और न ही दौड़-भाग सकती थी यानी महेश के आंगन में खुशी होने के बाद भी न के बराबर थी। दरअसल महेश के तीन साल के बेटे अर्पित के दिल में छेद था। इस बीमारी ने अर्पित को ऎसा जकड़ा कि उसका जीवन असामान्य हो गया। जरा सा खेलों तो थक जाना और फिर बिस्तर पकड़ लेना। फूल से बच्चे को इस हालत में देख माता-पिता बहुत चिन्तित रहते थे। घर में गरीबी के हालात में उपचार करवाना भी नामुमकिन सा था। इसी बीच गत वर्ष फरवरी में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की दौसा टीम के आयुष चिकित्सक डॉ. दिनेश चतुर्वेदी व डॉ.रेणुका वर्मा सहित अन्य कर्मचारि जादौन गांव के आंगनबाड़ी केन्द्र पहुंचे और अन्य बच्चों की तरह ही अर्पित की भी जांच की।

जांच में पता चला कि र्अपित को दिल की बीमारी है और उसके दिल में छेद है जिसके कारण उसका विकास रूक गया है तथा वह सामान्य जीवन नहीं जी पा रहा है। टीम ने तुरंत र्अपित के पिता से बात की तो पता चला कि उनके पास इतना धन नहीं है कि वे र्अपित का इलाज करा सकें। टीम ने राह दिखाई और बताया कि र्अपित का उपचार राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत निःशुल्क हो सकता है। बस फिर क्या था। र्अपित को जयपुर के एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया और एक अप्रेल को उसका ऑपरेशन भी हो गया। आज जब महेश शर्मा से बात करते हैं तो वे कहते हैं अब उनके आंगन में खुशी दौड़ती भी है, खेलती भी है और दिखती भी है। यानी उनका बेटा र्अपित अब सामान्य जीवन जीने में सक्षम है।

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