Hate speech can not be allowed under the guise of freedom of expression: the court

नयी दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने आज कहा कि भाषण तथा अभिव्यक्ति की आजादी की आड़ में नफरत फैलाने वाले भाषण और देश की एकता तथा अखंडता को खतरे में डालने वाले नारों को अनुमति नहीं दी जा सकती। अदालत ने कहा कि आवरण को हटाने की जरूरत है। दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कालेज में इसी साल फरवरी में कथित तौर पर नारेबाजी करने वाले छात्रों के कुछ समूहों के खिलाफ शिकायत पर मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अभिलाष मल्होत्रा ने यह तीखी टिप्पणी की।

हालांकि अदालत ने मामले में एक अन्य प्राथमिकी के अनुरोध वाली शिकायत को खारिज कर दिया और कहा कि उसके समक्ष पेश आडियो-वीडियो फुटेज अप्रमाणित थे।अदालत ने कहा कि लोकतांत्रिक समाज में ईमानदार और निष्पक्ष आलोचना हमेशा सुहावना और फायदेमंद होता है क्योंकि इससे नीतियों में सुधार होता है और तंत्रों में परिवर्तन होता है। अदालत ने कहा कि लेकिन भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर देश की एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले नफरत भरे भाषण या भडकाउ नारों की अनुमति नहीं दी जा सकती। अदालत ने कहा कि जो लोग देश की एकता को खतरे में डालने का दुस्साहस करते हैं, उनसे सख्ती से निपटने की जरूरत है क्योंकि एक नागरिक देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करने और इसे कायम रखने के लिए संवैधानिक तथा नैतिक रूप से बाध्य है।

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