जयपुर। रिश्वत लेने के एक मामले में रोचक फैसला हुआ है। जिस शिकायतकर्ता ने रिश्वत लेने के मामले में जिसे पकड़वाया वह तो बरी हो गया। क्योंकि शिकायतकर्ता ही अपने बयानों से मुकर गया। बयान बदलने पर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए शिकायतकर्ता को सजा सुना दी। यह मामला नीमकाथाना सीकर निवासी श्यामाराम जाट से जुड़ा है। श्यामाराम जाट को बयानों से बदलने पर एसीबी कोर्ट जयपुर के न्यायाधीश महेन्द्र व्यास ने तीन महीने के कठोर कारावास और पांच सौ रुपए के हर्जाने की सजा सुनाई है। लोक अभियोजक महेन्द्र कुमार व्यास ने कोर्ट को बताया कि 8 दिसम्बर, 1995 को श्यामाराम ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने शिकायत दर्ज करवाई थी कि नीमकाथाना एसडीएम कार्यालय में कार्यरत लिपिक भागीरथ मूल निवास बनाने के नाम पर दो सौ रुपए की रिश्वत मांग रहा है। शिकायत सही पाए जाने पर ब्यूरो टीम ने भागीरथ को दो सौ रुपए की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार कर लिया। ब्यरो ने चालान पेश किया। जिसमें श्यामाराम ने रिश्वत देने संबंधी बयान दिए, लेकिन कोर्ट में जिरह के दौरान एसीबी और कोर्ट में दिए बयानों से मुकर गया। उसने कहा कि उसने भागीरथ को रिश्वत नहीं दी, जिस पर कोर्ट ने भागीरथ को बरी कर दिया। इस पर एसीबी ने श्यामाराम जाट के खिलाफ झूंठी साक्ष्य देने पर कोर्ट में परिवाद दाखिल किया। आरोप सही पाए जाने पर कोर्ट ने श्यामाराम जाट को तीन महीने की सजा सुनाई।