murder
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जयपुर। देश-दुनिया में आतंकवाद को सबसे बड़ा खतरा बताया जा रहा है। भारत ही नहीं अमरीका, यूरोप, अरब और अफ्रीकी देश भी आतंकवाद के साये में है। हालांकि आतंकवाद और आतंकी हमलों में इतनी जानें नहीं गई, जितनी की प्यार-मोहब्बतें में कुर्बान हो रही है। भारत की तस्वीर देखें तो आतंकवाद से चार या पांच गुणा मौतें प्यार मोहब्बतों में हुई है। चाहे प्यार नहीं मिलने पर खुदखुशी के मामलों हो या प्रेम संबंध उजागर होने पर हत्या किए जाने के प्रकरण हो। करीब डेढ़ दशक के दौरान भारत में एक लाख से अधिक जानें प्यार में कुर्बान हो चुकी है। 90 फीसदी मरने वाले किशोर व युवा वर्ग से हैं। जो प्यार में धोखा मिलने पर मर गए या प्रेमी-प्रेमिका का मिलन नहीं होने पर अपनी जान दे दी या घरवालों ने उनकी जान ले ली। एनसीआरबी रिकॉर्ड के मुताबिक भारत में वर्ष 2001 से 2015 तक करीब 39 हजार हत्याएं और गैर इरादतन मर्डर हो चुके हैं। इसी अवधि में करीब बीस हजार जानें आतंकी हमलों व आतंकवाद के चलते हुई। वहीं प्यार-मोहब्बत में कुर्बान होने वाले की तादाद करीब एक लाख तक रही। इस अवधि में करीब ढाई लाख लड़कियों के किडनेप भी हुए, जो प्यार-मोहब्बत के चलते हुई है। उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, तमिलनाडू में प्यार में खुदखुशी और मर्डर के मामले ज्यादा सामने आए हैं। आंकड़ों के मुताबिक पन्द्रह सालों के दौरान हर दिन सात मौतें-मर्डर प्यार करने वालों की हुई। प्यार में धोखा, पारिवारिक बंदिशे, प्रेम उजागर होने आदि कारणों के कारण मौतें और मर्डर हो रहे हैं।

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