अमरनाथ. अमरनाथ में पवित्र गुफा के आसपास पहाड़ों पर मंगलवार को भारी बारिश हुई। इससे दोपहर करीब 3 बजे अमरनाथ गुफा के पास बने तालाबों और झरनों में बाढ़ आ गई। 8 जुलाई को भारी बारिश से आई बाढ़ जैसे हालात इस बार न बनें, इसलिए चार हजार से ज्यादा तीर्थयात्रियों को तुरंत बाहर निकाला गया। सभी को पंचतरणी भेजा गया है। भगवती नगर बेस कैम्प से मंगलवार को 2100 तीर्थयात्रियों के साथ 26वां जत्था पवित्र गुफा के लिए रवाना हुआ था। इस साल किसी भी जत्थे में यह सबसे कम यात्री संख्या थी। सीआरपीएफ की सुरक्षा में 73 गाड़ियों का काफिला रवाना हुआ था। इनमें 23 गाड़ियों में 815 तीर्थयात्री बालटाल के लिए और 49 गाड़ियों में 1 हजार 374 तीर्थयात्री पहलगाम के लिए निकले थे।
अमरनाथ गुफा के पास 8 जुलाई को बादल फटने से अचानक आई बाढ़ में 15 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी। आधिकारिक जानकारी के अनुसार 29 जून से अब तक 1 लाख 37 हजार 774 तीर्थयात्री भगवती नगर बेस कैम्प से पवित्र गुफा के दर्शन के लिए भेजे जा चुके हैं। अमरनाथ गुफा के पास शुक्रवार 8 जुलाई को शाम 5 बजकर 30 मिनट पर बादल फटा था। जिस समय बादल फटा, उस समय गुफा के पास 10 से 15 हजार श्रद्धालु मौजूद थे। पहाड़ों से तेज बहाव के साथ आए पानी से श्रद्धालुओं के लिए लगाए गए करीब 25 टेंट और दो से तीन लंगर बह गए थे। बारिश से पूरे इलाके में तेजी से पानी भर गया, लिहाजा कई लोग इसकी चपेट में आ गए। आईटीबीपी ने 15 हजार लोगों का रेस्क्यू किया था।
परंपरा के मुताबिक अमरनाथ यात्रा रक्षाबंधन तक जारी रहती है। इस साल श्रावण पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन 11 अगस्त को है। इसी दिन तक श्रद्धालुओं को पवित्र गुफा तक जाने की अनुमति रहेगी। इसके बाद भारी बर्फबारी के चलते अगले साल तक इसे तीर्थयात्रियों के लिए बंद रखा जाएगा। हर साल यात्रा शुरू होने से पहले सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस पूरे रास्ते को सैनिटाइज करते हैं और श्रद्धालुओं के लिए जरूरी इंतजाम करते हैं।

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