राज्य सरकार द्वारा नौनिहालों के भविष्य में सुनहरे रंग भरने का सार्थक प्रयास
जयपुर, 26 जुलाई। लगभग छः से आठ वर्ष की आयु में पिता का निधन हो गया हो, मां ने नया जीवन शुरू कर दिया हो और जब जन्मदाताओं का साथ छूटने पर रिश्तेदारों ने भी अपना मुंह मोड़ लिया हो तो ऐसे में जीवन में सिवाय निराशा और चारों ओर घनघोर अंधेरे के सिवाय भविष्य में कुछ नज़र नहीं आता है। ऐसे में अगर कोई सहारा मिल जाए तो वह देवदूत से कम नहीं लगता।
कुछ ऐसा ही हुआ कमलेश और खेमराज पारगी के साथ। जब उनके पिता की मृत्यु होने तथा मां के नये जीवन की शुरुआत करने से माता-पिता का साथ छूटा तो अन्य रिश्तेदारों ने भी हाथ झटक लिये। ऐसे में राज्य सरकार द्वारा बेसहारा, गुमशुदा व विधिक बच्चों के उचित संरक्षण और पालन-पोषण के लिए डूंगरपुर जिले के तीजवड़ में खोला गया राजकीय संप्रेक्षण एवं किशोर गृह इन दोनों बेसहारा बच्चों के जीवन में उम्मीद का नया सवेरा लेकर आया। इन अबोध और मासूम बालकों को जब इस दुनियां में दूर-दूर तक कोई भी अपना और अपनाने वाला नज़र नहीं आ रहा था, तब राज्य सरकार के इस संप्रेक्षण व किशोर गृह में इन बेसहारा बच्चों को न केवल अपना घर मिला वरन् और बच्चों के मिले साथ ने इन्हें एक नया परिवार भी दे दिया। इससे भी ज्यादा कमलेश और खेमराज के जीवन में उम्मीद की नई किरण तब चमकी जब राजकीय संप्रेषण एवं किशोर गृह, डूंगरपुर ने उन्हें शिक्षा से जोड़ते हुए विद्यालय में अध्ययन के लिए प्रवेश दिलवाया और जीवन को नई दिशा प्रदान की।
राजकीय संप्रेक्षण एवं किशोर गृह तीजवड़, डूंगरपुर के अधीक्षक हर्षवर्धन द्विवेदी ने बताया कि दो अलग-अलग घटनाक्रमों में लगभग छः-सात वर्षीय कमलेश 13 जनवरी, 2017 को तथा लगभग आठ वर्षीय खेमराज पारगी 2 मई, 2019 को गुमशुदा मिले थे। आमजन के माध्यम से इसकी सूचना चाइल्ड लाइन को मिली तो गुमशुदा बालकों को राजकीय किशोर गृह में रखा गया और विशेषज्ञ काउंसलिंग के माध्यम से उनके परिवार से संबंधित जानकारी ली गई। धीरे-धीरे किशोर गृह में मिले अपनेपन, पारिवारिक एवं भयमुक्त माहौल से कमलेश व खेमराज घुलमिल गये और उन्होंने अपने परिवार से संबंधित जानकारी दी। उन्होंने अपने-अपने पिता की मृत्यु होना तथा माताओं के नाम व निवास क्षेत्रा बताये। इसके बाद बाल कल्याण समिति के निर्देश पर कमलेश व खेमराज की माताओं तथा उनके वर्तमान जीवनसाथियों को बुलाया गया। उन्होंने अपना नया वैवाहिक जीवन शुरू करना बताते हुए बालकों की जिम्मेदारी लेने से मना कर दिया। इसके बाद कमलेश व खेमराज ने राजकीय बाल किशोर गृह में रहना स्वीकार किया। किशोर गृह अधिकारियों ने इन बच्चों को राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय तीजवड़ में प्रवेश दिलवा कर इनके जीवन को एक नई दिशा प्रदान की।
वर्तमान में कमलेश कक्षा तीसरी में अध्ययनरत है वहीं खेमराज ने इस वर्ष अपने शैक्षिक जीवन की नई शुरुआत की है। राजकीय विद्यालय तीजवड़ के संस्था प्रधान व शिक्षकों द्वारा भी बच्चों को खेल-खेल में पढ़ने और विद्यालय में पारिवारिक वातावरण देने का प्रयास किया जा रहा है।
विद्यालय परिवार एवं भामाशाहों की ओर से इन दोनों बच्चों को विद्यालय गणवेश, स्कूल कॉपी, स्टेशनरी और अन्य सामान के लिए सहयोग भी प्रदान किया जा रहा है।
राज्य सरकार का राजकीय संप्रेक्षण एवं किशोर गृह के माध्यम से गुमशुदा और बेसहारा बच्चों को सम्बल प्रदान करने का प्रयास वाकई कमलेश और खेमराज जैसे अन्य बच्चों के लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं है। राजकीय संप्रेक्षण एवं किशोर गृह तीजवड़ इन दोनों नौनिहालों के सुनहरें भविष्य में इंद्रधनुष के रंगों को भरने का सार्थक प्रयास कर रहा है।