बाल मुकुन्द ओझा
विश्व विरासत दिवस प्रति वर्ष 18 अप्रैल को मनाया जाता है। यह दिन पूरे विश्व में मानव से जुड़ी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक चीजों के संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र की संस्था विश्व की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक चीजों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। विश्व विरासत दिवस 2023 का विषय विरासत परिवर्तन रखा गया है। यह विषय जलवायु बदलाव की गतिविधियों की जानकारी और इसकी प्रणालियों के पारंपरिक तरीकों का पता लगाने का अवसर प्रस्तुत करता है। विरासत के स्थल किसी भी राष्ट्र की सभ्यता और उसकी प्राचीन संस्कृति के महत्त्वपूर्ण परिचायक माने जाते हैं। बीता हुआ कल काफी महत्त्वपूर्ण होता है। बीता हुआ समय वापस नहीं आता, किंतु अतीत के पन्नों को हमारी विरासत के तौर पर कहीं पुस्तकों तो कहीं इमारतों के रूप में संजो कर रखा गया है। हमारे पूर्वजों ने निशानी के तौर पर तमाम तरह के मंदिर मकबरे, मस्जिदें, किले, कुँए, बावड़ी और अन्य चीजों का सहारा लिया, जिनसे हम उन्हें आने वाले समय में याद रख सकें। लेकिन वक्त की मार के आगे कई बार उनकी यादों को बहुत नुकसान पहुँचा। किताबों, इमारतों और अन्य किसी रूप में सहेज कर रखी गई यादों को पहले स्वयं हमने भी नजर अंदाज किया, जिसका परिणाम यह हुआ कि हमारी अनमोल विरासत हमसे दूर होती गईं और उनका अस्तित्व भी संकट में पड़ गया। वर्तमान में दुनियाभर में कुल 1154 विश्व धरोहर स्थल हैं। इनमें से 897 सांस्कृतिक, 218 प्राकृतिक और 39 मिश्रित स्थल है। चीन, इटली, स्पेन, जर्मनी और भारत दुनिया भर के कुछ शीर्ष देश हैं, जिनकी विश्व स्तर की विरासत की अच्छी गिनती है। भारत में वर्तमान में 40 विश्व धरोहरे हैं। यूनेस्को ने भारत में कुल 40 विश्व धरोहरें घोषित की है। इनमें 7 प्राकृतिक, 32 सांस्कृतिक और एक मिश्रित स्थल हैं। भारत में कुल 3691 ऐसे स्मारक और स्थल हैं, जिसमें से यूनेस्को ने भारत में कुल 40 विश्व धरोहरों की घोषणा की है। इनमें 7 प्राकृतिक, 32 सांस्कृतिक और एक मिश्रित हैं।
भारत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों का जिक्र करें तो ऐसे बहुत से स्थानों का नाम महत्वपूर्ण है। लेकिन ताजमहल और मुगलकालीन शिल्प की दास्तां बयान करने वाले दिल्ली के लालकिले ने इस सूची को भारत की ओर से और भी खूबसूरत बना दिया है। ताजमहल कोएक विश्वव्यापी मतसंग्रह के दौरान दुनिया के सात अजूबों में अव्वल नंबर कर रखा गया था। विश्व धरोहर सूची में शामिल भारत की अजंता की गुफाएं 200 साल पूर्व की कहानी कहती नजर आती हैं लेकिन इतिहास के पन्नों में धीरे-धीरे ये भुला दी गईं और बाद में बाघों का शिकार करने वाली एक ब्रिटिश टीम ने इनकी फिर खोज की। विश्व धरोहर सूची में शामिल एलोरा की गुफाएं दुनिया भर को भारत की हिन्दू, बौध्द और जैन संस्कृति की कहानी बताती हैं। ये गुफाएं लोगों को 600 और 1000 ईस्वीं के बीच के इतिहास से रूबरू कराती हैं। भारत को विश्व धरोहर सूची में 14 नवंबर 1977 में स्थान मिला। तब से अब तक 40 भारतीय स्थलों को विश्व धरोहर स्थल के रूप में
घोषित किया जा चुका है। भारत में सर्वप्रथम एलोरा की गुफाएं (महाराष्ट्र) को विश्व विरासत स्थल घोषित किया था। देश का 39 वां विश्व धरोहर विरासत धरोहर स्थल कालेश्वर (रामप्पा) मंदिर तेलंगाना में स्थित है। वहीं 40 वां विश्व विरासत धरोहर स्थल हड़प्पा सभ्यता का शहर धोलावीरा है जो गुजरात में स्थित है। महाराष्ट्र राज्य में सबसे ज्यादा पांच यूनेस्को विश्व विरासत स्थल हैं।
भारत की विरासत ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी बिखरी पड़ी है जिन्हें संरक्षित सहेजना चुनौतीपूर्ण है। देश के ग्रामीण अंचलों में ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक विरासतों की भरमार है। विरासतों की सार संभाल के साथ इन्हें ग्रामीण पर्यटन से जोड़ दिया जाए तो ना केवल क्षेत्र का समुचित विकास हो सकेगा। वहीं इन विरासतों को नए मायने मिलने से बड़ा पर्यटन सर्किट विकसित हो सकता है। जिससे क्षेत्र की कायापलट हो सकती है। इससे एक तरफ जहाँ हमारी अमूल्य विरासत संरक्षित होगी वहां दो हाथों को रोजगार मिलेगा। प्रत्येक विरासत स्थल उस देश विशेष की संपत्ति होती है, जिस देश में वह स्थल स्थित हो। आने वाली पीढ़ियों के लिए और मानवता के हित के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का हित भी इसी में होता है कि वे इनका संरक्षण करें। इसके संरक्षण की जिम्मेदारी पूरे विश्व समुदाय की होती है।

LEAVE A REPLY