मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने तीन वर्षीय बच्ची के कथित बलात्कार के मामले में प्रथम दृष्टया साक्ष्य मौजूद होने के बावजूद एक स्कूल के दो कर्मियों की गिरफ्तारी में देरी को ‘चकित कर देने वाला’ करार देते हुए मुंबई पुलिस के दो शीर्ष अधिकारियों को जांच की निगरानी करने और कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने का आज आदेश दिया। न्यायालय ने जांच की अब तक की प्रगति पर नाखुशी जाहिर की और सवाल किया कि प्रथम दृष्टया बलात्कार और यौन उत्पीड़न की घटना से संबंधित साक्ष्य होने के बावजूद पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार करने में तत्परता क्यों नहीं दिखाई। न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और न्यायमूर्ति शालिनी फनसालकर जोशी की पीठ ने कहा कि शिकायत दर्ज कराये जाने के छह माह बाद भी आरोपियों को गिरफ्तार किये जाने में विफलता जाहिरा तौर पर यह दर्शाती है कि पुलिस उनको ‘बचाने’ का प्रयास कर रही है।
पीठ ने संबंधित सहायक पुलिस आयुक्त से जांच की अगुवाई करने और संबंधित जोन के पुलिस उपायुक्त से जांच की निगरानी करने और कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। उसने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि पुलिस बाल यौन उत्पीड़न जैसे संवेदनशील मुद्दे को ‘अधिक गंभीरता के बिना’ देख रही है।