मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय का मानना है कि बीसीसीआई ‘अफवाहों’ के आधार पर किसी खिलाड़ी पर गंभीर आरोप लगाकर निलंबित नहीं कर सकता और अदालत ने देश की सर्वोच्च क्रिकेट संस्था से क्रिकेटर हिकेन शाह की इस तरह की कार्रवाई के खिलाफ याचिका पर गौर करने के लिये कहा। मुंबई के बल्लेबाज शाह को जुलाई 2015 में भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने निलंबित कर दिया था। उन्हें खिलाड़ियों के लिये भ्रष्टाचार निरोधक संहिता के उल्लंघन का दोषी पाया गया था।शाह ने निलंबन को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और दावा किया कि उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया।
इस क्रिकेटर ने हाल में क्रिकेट बोर्ड को पत्र लिखकर अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा। शाह की याचिका कल जब सुनवाई के लिये आयी तो न्यायमूर्ति एस एम केमकर और जीएस कुलकर्णी की पीठ को बताया गया कि बीसीसीआई ने शाह के खिलाफ एक भी गवाह पेश नहीं कर पाया है और उसे इस मामले में अभी अंतिम फैसला करना है। न्यायमूर्ति केमकर ने कहा, ‘‘यह एक व्यक्ति के मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन है। याचिकाकर्ता दो साल से भी अधिक समय से निलंबित है। वह (शाह) पहले ही काफी सजा भुगत चुका है।’’ न्यायमूर्ति कुलकर्णी ने कहा, ‘‘आपने (बीसीसीआई) अभी तक एक भी गवाह पेश नहीं किया। केवल अफवाह के आधार पर आपने उन्हें (शाह) निलंबित कर दिया। कोई भी किसी के खिलाफ कुछ भी कह सकता है और आपने कार्रवाई कर दी। आप खिलाड़ियों के साथ इस तरह का व्यवहार नहीं कर सकते। ’’ पीठ ने क्रिकेट बोर्ड से शाह के आवेदन पर विचार करने के लिये कहा।