नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम :ओएनजीसी: के निदेशक मंडल में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा की स्वतंत्र निदेशक के रूप में नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने कहा कि इस याचिका में कोई दम नहीं है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर ने शशि शंकर की ओएनजीसी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी) के रूप में नियुक्ति पर आपत्ति को भी खारिज कर दिया है। एनर्जी वॉचडॉग नाम के एनजीओ ने ओएनजीसी के सीएमडी के रूप में शंकर की नियुक्ति का इस आधार पर विरोध किया था कि उन्हें फरवरी, 2015 में एक जांच के संबंध में छह महीने के लिए निलंबित कर दिया गया था। वह मामला पीएसयू द्वारा एक ठेका देने की जांच से जुड़ा है। पीठ ने एनजीओ की दलील को खारिज करते हुए कहा कि यह पूरी तरह से टिकने योग्य नहीं है और इसका कोई तथ्यात्मक या कानूनी आधार नहीं है।
पीठ ने यह भी कहा कि पूरी याचिका में इस बारे में कोई आरोप नहीं है कि शंकर इस पद के पात्र या योग्य नहीं हैं और न ही इस बात को उल्लेख है कि उनके पास इसके लिए जरूरी अनुभव नहीं है। पात्रा की नियुक्ति को एनजीओ ने कई आधार पर चुनौती दी थी। एनजीओ ने आरोप लगाया कि उन्हें नियुक्ति देने में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। इसके अलावा उनके पास इस बारे में जरूरी अनुभव या योग्यता नहीं है। वह केंद्र में सत्ताधारी पार्टी भाजपा से जुड़े हुए हैं। सत्ताधारी पार्टी के प्रवक्ता होने के बारे में अदालत ने कहा कि एनजीओ ने यह आरोप नहीं लगाया है कि पात्रा या उनके रिश्तेदारों का पीएसयू या उसकी अनुषंगियों, होल्डिंग कंपनी या प्रवर्तकों से किसी तरह का आर्थिक लेनदेन है। पीठ ने अपने 51 पृष्ठ के आदेश में कहा कि सिर्फ भाजपा प्रवक्ता होने की वजह से निदेशक के रूप में उनके कामकाज पर संदेह करना पूरी तरह से अनुचित होगा। अदालत ने एनजीओ की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि भाजपा प्रवक्ता चिकित्सक हैं और ओएनजीसी का चिकित्सा के क्षेत्र से कोई लेनादेना नहीं है जो उन्हें बोर्ड में जगह दी गई। पीठ ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र का अनुभव ओएनजीसी के परिचालन के लिए तर्कसंगत नहीं है, इस दलील को भी सही नहीं ठहराया जा सकता। पीठ ने कहा कि इस तरह के संगठन के निदेशक मंडल को स्वास्थ्य और पर्यावरण के प्रति जागरूक होना चाहिए और चिकित्सा विशेषज्ञ की बोर्ड में नियुक्ति को असंगत नहीं कहा जा सकता। अदालत ने कहा कि चिकित्सक, वकील और चार्टर्ड अकाउंटेंट या किसी अन्य क्षेत्र के विशेषज्ञ निश्चित रूप से बोर्ड में महत्व रखते हैं।