High Court notice in favor of corrupt public servants: HC asks Center and Rajasthan government on the petition of Sachin Pilot
जयपुर। राजस्थान में लोकसेवकों के खिलाफ भ्रष्टाचार संबंधी शिकायतों पर जांच और मुकदमा दर्ज करने से पहले राज्य सरकार की मंजूरी समेत अन्य प्रावधान के साथ लाए गए राजस्थान सरकार के सीआरपीसी-आईपीसी में संशोधित बिल को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट ने जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार और राजस्थान सरकार को नोटिस देकर एक महीने में इस बिल के संबंध में जवाब देने को कहा है। राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश अजय रस्तोगी और दीपक माहेश्वरी ने राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट, एडवोकेट भगवत गौड़ व अन्य की ओर से दायर आधा दर्जन याचिकाओं पर ये आदेश दिए हैं। कोर्ट ने सरकार को 27 नवम्बर तक जवाब पेश करने को कहा है। इन सभी याचिकाओं में कहा है कि भ्रष्ट लोकसेवकों को बचाने के लिए राजस्थान सरकार यह संशोधित बिल ला रही है।
इस बिल के आने से जनता भ्रष्ट लोकसेवकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं करवा पाएगी और ना ही कोर्ट आदेश दे पाएगी जांच के संबंध में। इस बिल में यह प्रावधान किया है कि राज्य सरकार की अनुमति के बाद ही पुलिस और कोर्ट किसी लोकसेवक के खिलाफ जांच या मुकदमा दर्ज कर सकते हैं। इससे पहले किसी शिकायत पर कोई जांच नहीं कर सकते, जो जनता के संविधान प्रदत्त अधिकारों और सुप्रीम कोर्ट के कानूनी फैसलों का उल्लंघन है। यह बिल कोर्ट के आदेशों के ऊपर है। जिसमें कोर्ट को भी सरकार से अनुमति के बाद ही जांच करवाने के प्रावधान किए हैं। इस बिल के आने से ना केवल भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि भ्रष्ट लोकसेवकों को संरक्षण मिलेगा। भ्रष्ट अफसरों व कर्मियों के खिलाफ जांच और प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकेगी। यह बिल लोकतंत्र के खिलाफ है। विधि विरुद्ध और गैर कानूनी है। इसे रद्द किया जाए।

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