जयपुर । झुंझुनुं में 24 अप्रैल, 2010 को प्रेमी सुभाष चौधरी के साथ मिलकर अपने फौजी पति शीशराम जाट की जहर देकर हत्या करने के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा काट रही पत्नी मीना देवी निवासी गुढ़ा गौडजी को राजस्थान हाईकोर्ट में न्यायाधीश अजय रस्तोगी और न्यायाधीश डी सी सोमानी की खंडपीठ ने उसे अपने पुत्र की कस्टडी सौंपने से इंकार करते हुए उसकी याचिका को खारिज कर दिया है।
याचिकाकर्ता मीना ने याचिका दायर कर हाईकोर्ट को बताया कि वह अपने पति की हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा बीकानेर जेल में भुगत रही है। 10जनवरी, 2014 को उसे सजा होने पर वह बेटे को साथ में लेकर जेल में गई थी। बेटे की उम्र 7 साल होने पर उसके दादा रामदेवसिंह ने कोर्ट से कस्टडी मांगी। 20 अप्रैल, 2017 को फैमिली कोर्ट ने उसके बेटे की कस्टडी ससुर को सौंप दी। आदेश को मीना देवी ने हाईकोर्ट ने चुनौती देकर बेटे की कस्टडी उसे दिलाने की मांग की थी। जिसका विरोध करते हुए बच्चे के दादा रामदेव सिंह का कहना था कि जेल में रहने से बच्चे का भविष्य खराब हो जायेगा। मृत शीशराम जाट उसका इकलौता बेटा था। इसके अलावा वह बच्चे का भरण पोषण करने में भी सक्षम है।