जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से नियुक्त किए गए दस संसदीय सचिवों को पद से हटाने की गुहार करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य सचिव और प्रमुख केबीनेट सचिव को नोटिस जारी कर 4 दिसंबर तक जवाब तलब किया है। न्यायाधीश केएस झवेरी और न्यायाधीश वीके व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश दीपेश ओसवाल की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए।जनहित याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट गत जुलाई माह में असम राज्य के मामले में निर्णय कर चुका है कि संवैधानिक प्रावधानों के तहत संसदीय सचिव का कोई पद ही नही है।
ऐसे में राज्य सरकार को ऐसे किसी पद को सृजित करने का संवैधानिक अधिकार नहीं है। इसलिए राज्य में नियुक्त दस संसदीय सचिवों को नियुक्त करने की अधिसूचनाओं को रद्द कर उन्हें पद से हटाया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। गौरतलब है कि राज्य सरकार के मंत्रीमंडल सचिवालय ने 18 जनवरी 2016 की अधिसूचना से एमएलए सुरेश रावत, जितेन्द्र गोठवाल, विश्वनाथ मेघवाल, लादूराम विश्नोई और भैराराम सियोल तथा 10 दिसंबर 2016 को अधिसूचना जारी कर नरेन्द्र नागर, भीमा भाई डामोर, शत्रुघन गौतम, ओमप्रकाश हुडला और कैलाश वर्मा को संसदीय सचिव नियुक्त करते हुए इन्हें राज्य मंत्री का दर्जा दिया था।