जयपुर। राजस्थान हाइकोर्ट ने विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह करने वाले जोड़ो के घर जिला प्रशासन की ओर से भेजे जाने वाले नोटिस पर रोक लगा दी है। हाइकोर्ट ने जिला विवाह अधिकारियों को कहा है की वे नोटिस जारी करने के सम्बन्ध में किसी तरह का आदेश जारी ना करें।मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नान्द्रजोग और न्यायाधीश जीआर मूलचंदानी की खंडपीठ ने यह आदेश कुलदीप कुमार मीणा की जनहित याचिका को स्वीकार करते हुए दिए।
याचिका में कहा गया की परिवारजनो की स्वीकृति नहीं मिलने के कारण अधिकांश युवा जोडे विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह करते है। वयस्क जोड़ा इसके लिये जिला विवाह अधिकारियों के समक्ष आवेदन करता है। वहीँ विवाह अधिकारी उनके सत्यापन के नाम पर लड़के और लड़की के निवास स्थान पर नोटिस भेजते हैं। जिसके कारण परिवार को उनके विवाह करने की जानकारी हो जाती है और अंततः उनका विवाह मुश्किल में पड़ जाता है। याचिका में कहा गया की इस तरह घर पर नोटिस भेजने का कोई प्रावधान विशेष विवाह अधिनियम में नहीं है। ऐसे में विवाह अधिकारियों की ओर से की जा रही इस कार्रवाई पर रोक लगाईं जानी चाहिए।
जिसका विरोध करते हुए अतिरिक्त महाधीवक्ता धर्मवीर ठोलीया ने कहा की युगल के घर नोटिस भेजने का कारण उनके परिवार को होने जा रहे विवाह की जानकारी देना नहीं है। विवाह कराने से पहले जानना जरूरी है की दोनों में से कोई पहले से विवाहित तो नहीं है। इसके अलावा कहीँ फर्जी दस्तावेज तो पेश नहीं किए गए हैं। यदि इनकी जानकारी करे बिना विवाह कराया जाता है तो बाद में कई जटिलताएँ पैदा हो सकती हैं। इन जटिलताओं से दोनों पक्षो को बचाने के लिये इस सम्बन्ध में दोनों के बारे में जानकारी जुटाई जाती है। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने ऐसा कोई नोटिस भेजने पर रोक लगा दी है।