जपपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश में वर्ष 2006 से 2015 के बीच हिरासत में हुई 738 मौतों की न्यायिक जांच रिपोर्ट 6 अक्टूबर को अदालत में पेश करने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही अदालत ने वर्ष 2015 से जून 2018 की अवधि में हुई हिरासत में मौतों का आंकडा भी पेश करने को कहा है। न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश गोवर्धन बाढ़दार की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए।
अदालत ने कहा है कि महिला कैदियों और उनके बच्चों की हालत खराब है। प्रदेश में सिर्फ जयपुर व जोधपुर में ही अलग से महिला जेल है। जबकि अन्य जेलों में अलग महिला वार्ड बनाकर बंदियों को रखा जाता है। इसलिए राज्य सरकार को निर्देश दिए जाते हैं कि वह कोटा, अजमेर, उदयपुर, भरतपुर और कोटा में जल्दी ही महिला जेलों का निर्माण कराए। अदालत ने महिला बंदियों के बच्चों के लिए कै्रच सुविधा और खिलौने मुहैया कराने के भी निर्देश दिए हैं। अदालत ने जेलकर्मियों के प्रमोशन और वेतन आदि के लिए गठित उच्च स्तरीय कमेटी से इस संबंध में दो माह में अपनी रिपोर्ट देने को कहा है। अदालत ने गत बीस जुलाई को निकाली 670 जेल वार्डन की भर्ती की प्रक्रिया को भी दो माह में पूरा करने के निर्देश दिए हैं।
अदालत ने कहा है कि जेलों में आए दिन मोबाइल मिल रहे हैं। अपराधी जेल में बैठकर गैंग चला रहे हैं। राज्य सरकार को कई बार निर्देश देने के बावजूद कार्रवाई नहीं हुई है। यदि बीईएल से जेमर लगाने का काम नहीं हो रहा है तो ईसीआईएल से काम कराने पर विचार किया जाए। इसके साथ ही अदालत ने नियमित रूप से जेलों में मोबाइल तलाशी का अभियान चलाने के निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई 6 अक्टूबर तक टाल दी है।