-मद्रास हाईकोर्ट हास्यपुर्ण फेसबुक पोस्ट करने वाले के खिलाफ एफआईआर निरस्त
जयपुर. हास्य विनोद से भरी एक फेसबुक पोस्ट करने वाले सीपीआई एमएल पार्टी के पदाधिकारी के खिलाऊ वेदीपटटी पुलिस की ओर से दर्ज एफआईआर को निरस्त करते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने ड्यूटी टू लाफ और राईट टू बी फन्नी यानि हंसने और हास्यपूर्ण होने के अधिकार पर रोचक टिप्पणी की हैं।
जस्टिस जी आर स्वामीनाथन ने कई्र मशहूर व्यंग्यकार और काटूर्निस्ट को उद्धत करते हुए कहा है कि यदि वे लोग अदालती फैसला लिखते तो निश्चित तौर पर संविधान में हंसने की ड्यूटी को भी मूलभूत अधिकार में शामिल करने का सुझाव देते। कोर्ट ने कहा है कि इसके साथ ही मजाकिया होने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद १९(१) (ए) में ही निहित है।
कोर्ट ने कहा है कि किस पर हंसा जाए एक गंभीर प्रश्न है और मजाकिया होना और दूसरे का मजाक उडाना अलग अलग टर्म हैं । कोर्ट ने भारत में क्षेत्रीय विभिन्नता की प़ष्ठभूमि के आधार पर इस सवाल को महत्वपूर्ण बताते हुंए कहा है कि ‘यह इसलिए हँ किे देश में वाराणसी से वेलीपट्टी तक पवित्र गाय घूम रही है और किसी की हिममत नहीं है कि इनका मजाक उडा सके हालांकि पवित्र गायाों की कोई सूची नहीं हैँ यह क्षेत्र और व्यक्ति के अनुसार अलग अलग है। जैसे योगी के इलाके में गाय पवित्र है भले ही वह भुखमरी से ग्रस्त कृशकाय हो। पश्चिम बंगाल में टैगोर प्रतिष्ठित नाम है और खुशवंत सिंह जैसे लेखक ने भी इसे एक भारी कीमत देकर समझा था। तमिलनाडू में मूूर्तिभंजक और परंपरा तोडने वाले पेरियार यानि ई वी रामास्वामी बेहद पवित्र गाय हैंं। इसी प्रकार आज के केरल में माक्र्स ओर लेनिन पर किसी भी प्रकार की निंदा या व्यंग्य नहीं किया जा सकता। महाराष्ट में छत्रपति शिवाजी और वीर सावरकर के प्रति भी यही हाल है। लेकिन ,पूरे भारत में यदि कोई अत्यंत पवित्र गाय है तो वह राष्टीय सुरक्षा है। Ó
दरअसल वेदीपटटी पुलिस ने याचिकाकर्ता के खिलाफ राज्य के खिलाफ विद्रोह भडकाने जैसी गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया था। पुलिस ने याचिाकाकर्ता को गिरफतार कर लिया था लेकिन मजिस्टे्रट ने पुलिस कस्टडी देने से इनकार कर दिया था। हाईकेार्ट ने इसके लिए मजिस्टेट की प्रशंसा की है ।