– कोर्ट ने माना मानसिक क्रूरता, सगे दो भाईयों को छह महीने की सजा सुनाई
जयपुर। दो सगी बहिनों की एक ही परिवार में दो सगे भाईयों से शादी हुई। शादी के आठ साल बाद भी बच्चे नहीं हुए पति और ससुराल वाले ताने मारने लगे। पति उन्हें बच्चा नहीं होने पर बांझडी कहकर ताने मारते और दहेज नहीं देने का आरोप लगाते। एक दिन दोनों भाईयों ने पत्नियों को घर से निकाल दिया। मामला कोर्ट में पहुंचा तो कोर्ट ने भी इसे गलत मानते हुए दोनों सगे भाईयों को छह माह की कैद और चार हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जयपुर जिला महावीर प्रसाद गुप्ता ने आरोपी दोनों भाइयों दुलीचन्द कोली व उसके भाई कालूराम कोली निवासी गांव खरताला सैंथल जिला दौसा को 498 ए में दोषी मानते हुए यह सजा सुनाई। पीडि़ता नारंगी और उसकी बहिन मौसमी ने 2015 में महिला थाना जयपुर ग्रामीण में मुकदमा दर्ज कराया था कि उनका विवाह 21 नवम्बर, 2008 को दुलीचन्द और गोविन्दराम के साथ हुआ था। शादी के 3 माह बाद ही 22 फ रवरी, 2009 को गोविन्द राम की मृत्यु होने पर मौसमी का पुनर्विवाह गोविन्द के छोटे भाई कालूराम के साथ कर दिया था। आरोप था कि कालूराम नया दहेज के लिए उसके साथ मारपीट कर प्रताडि़त करने लगा। कहता था कि दहेज तो गोविन्द को दिया है, मुझे भी दिलवाओ। बाद में दोनों बहनों को घर से ही निकाल दिया। विवाहिता नारंगी ने बयान में कहा था कि उसके पति और घरवाले कहते थे कि तू बांझडी है। मुंह देखने लायक भी नहीं है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि किसी स्त्री को बांझड़ी कहकर ताने मारना और मुंह देखने लायक भी नहीं बताना मानसिक क्रूरता है।