नई दिल्ली। अलगाववादी नेताओं का सिर कलम करने की धमकी देने वाले हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर जाकिर मूसा ने खुद को संगठन से अलग करने का ऐलान किया है। शुक्रवार को हिजबुल आंतकी ने 5 मिनट का एक वीडियो वायरल कर हुर्रियत नेताओं को धमकी देते हुए कहा था कि हुर्रियत नेताओं ने चरमपंथियों की इस्लाम के खातिर लड़ी जा रही लड़ाई में रोड़े अटकाने की कोशिश की तो लाल चौक में उनका सिर कलम कर लटका दिया जाएगा। वीडियो में मूसा ने कश्मीरियों का आह्वान किया कि वे हुर्रियत नेताओं के दोगलेपन के खिलाफ एकजुट हो। हमे केवल अपने धर्म से प्यार करना चाहिए, हम यह महसूस करे कि हम इस्लाम के लिए लड़ रहे हैं। हुर्रियत नेताओं को अगर ऐसा नहीं लग रहा है, तो हम बचपन से ला इलाहा इल्लल्लाह क्यों सुनते आ रहे हैं। कश्मीर की लड़ाई अगर धार्मिक नहीं है तो फिर इतने समय से हुर्रियत नेता मस्जिदों को कश्मीर की लड़ाई के लिए इस्तेमाल क्यों करते आ रहे हैं। चरमपंथियों के जनाजो में वे क्यों जाते हैं? यह लड़ाई सिर्फ शरिया के लिए लड़ी जा रही है। बता दें जाकिर मूसा को कश्मीर में हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद हिजबुल की कमान सौंपी गई थी। शनिवार को एक ओर वीडियो जारी करते हुए जाकिर मूसा ने कहा कि अगर हिजबुल ने मेरे बयान से किनारा ही कर लिया है तो मैं भी हिजबुल को छोडऩे का तत्काल ऐलान करता हूं। मैं सेक्युलर स्टेट के लिए अपनी जान कुर्बान नहीं कर सकता। मूसा का पहला बयान सामने आने के बाद हुर्रियत ने उसके बयान की कड़ी निंदा की थी। हुर्रियत कांफ्रेंस के प्रवक्ता आयाज अकबर ने कहा कि इस ऑडियो क्लिप की जांच की जा रही है कि आखिर ये आया कहा से है। हुर्रियत आज भी अपने बयान पर कायम है। आईएस या अल कायदा का कश्मीर की आजादी की लड़ाई में कोई भूमिका नहीं है, यह बात आज भी स्वीकार करते हैं। यह लड़ाई धार्मिक या राजनीतिक नहीं है। हुर्रियत अपना काम लगातार जारी रखेगी। कश्मीर आंदोलन एक स्थानीय आंदोलन है, जिसका दुनिया में जारी अन्य दूसरे आंदोलनों से कोई वास्ता नहीं है।

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