उदयपुर, 30 दिसम्बर। राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री चंद्रराज सिंघवी ने कहा है कि वे पूरे राजस्थान में एक सौ प्रेस काॅन्फ्रेंस करने निकले हैं। उदयपुर में यह 8वीं प्रेसवार्ता है। साठ दिन में 100 का लक्ष्य रखा है और इसके बाद प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री के चेहरे का फीडबैक ज्यों का त्यों प्रस्तुत करूंगा।
यह बात सिंघवी ने गुरुवार को उदयपुर में आयोजित प्रेसवार्ता में कही। उन्होंने साफ-साफ कहा कि वे सिर्फ एक पक्ष के लिए नहीं बल्कि जनता के पक्ष की तरफ से मुख्यमंत्री के अच्छे उम्मीदवार की तलाश में चैथे स्तम्भ से वार्ता करने निकले हैं। वे भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के चेहरों पर फीडबैक ले रहे हैं। चूंकि, कोई भी थर्ड फ्रंट सरकार को सिर्फ धक्का लगाने की ही भूमिका निभा सकता है, इसलिए मुख्यमंत्री दोनों प्रमुख दलों से ही होंगे। इसलिए वे ओपिनियन ले रहे हैं और उन्हें संकलित कर प्रकाशित करेंगे।
मुख्यमंत्री के लिए भाजपा के चेहरों के नाम गिनाते हुए उन्होंने गजेन्द्र सिंह शेखावत, दीया कुमारी, सतीश पूनियां, गुलाबचंद कटारिया, ओम बिड़ला, भूपेन्द्र यादव का नाम लिया और कहा कि कहीं शेखावत के लिए एक सोसायटी के संदर्भ में लगे आरोप की बात सामने आती है तो दीया कुमारी के लिए अनुभव को लेकर चर्चा की जाती है। हालांकि, सिंघवी ने कहा कि दीया कुमारी को अब तक जो भी कार्य या जिम्मेदारी दी गई है उसे उन्होंने बखूबी सम्पादित किया है, चाहे वह देश में हो या विदेश में। सिंघवी ने कहा कि सतीश पूनियां की तरफ जाट समाज का झुकाव कम बताया जाता है। कटारिया की उम्र यदि आड़े नहीं आती तो वे भी चेहरा हो सकते हैं और यह राष्ट्रीय नेतृत्व पर निर्भर है। ओम बिड़ला के नाम पर उन्होंने कहा कि उनके लिए कहा जाता है कि वे कोटा से बाहर नहीं गए और भूपेन्द्र यादव हरियाणा की राजनीति में रुचि रखते हैं।
इसी तरह, सिंघवी ने कांग्रेस में सचिन पायलट, अशोक गहलोत, बीडी कल्ला, सीपी जोशी के नाम गिनाए। सचिन के लिए लोकप्रियता का आधार बताया तो गहलोत पर अनुभव तथा आलाकमान का आशीर्वाद होना बताया। बीडी कल्ला और सीपी जोशी के लिए उन्होंने कहा कि फिलहाल इन चेहरों को सीमित प्रभाव का माना जा रहा है। गहलोत पर सिंघवी ने कहा कि वे स्वयं को जादूगर कहते हैं, लेकिन बाड़ाबंदी की नौबत क्यों आई। इस पर भी विश्लेषण की आवश्यकता है।
सिंघवी ने दावा किया कि 100वीं प्रेसवार्ता के बाद जो फीडबैक मजबूती से उभरकर आएगा, उसके लिए वे संबंधित पार्टी के आलाकमान को मजबूर करने की ताकत रखते हैं और कहेंगे कि जनता यह चाहती है। कहीं-कहीं मित्रता और पैसे की ताकत पर आलाकमान निर्णय कर लेता है, जो नहीं होना चाहिए।
सिंघवी ने यह भी पुरजोर तरीके से कहा कि जातिवाद की राजनीति इस देश का दुर्भाग्य है और इसे न तो नजरअंदाज किया जा सकता है न ही खत्म किया जा सकता है। हालांकि, इसका सकारात्मक पहलू यह है कि जाति का व्यक्ति नेतृत्व करता है तो उस समाज का विकास भी होता है। लेकिन, उन्होंने स्पष्ट कहा कि कोई भी चुनाव सरकार की उपलब्धियों के आधार पर नहीं जीता जा सकता, जातिगत समीकरणों का ध्यान रखना ही होता है और इस बात को सभी को डंके की चोट पर स्वीकार करना ही चाहिए।
सिंघवी ने यह भी ऐलान किया कि आदमी को अपने व्यक्तित्व की रक्षा के लिए पद और सत्ता का त्याग कर देना चाहिए। वे न तो पद लेंगे, न उन्हें सत्ता चाहिए और न ही वे आय के लिए राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने कलम की ताकत को तलवार से ज्यादा धार वाला बताते हुए कहा कि मीडिया चैथे स्तम्भ के रूप में अपनी भूमिका बेहतर निभाता आया है और निभाते रहना चाहिए। स्याही की दवात खरीदी जा सकती है, लेकिन कलम नहीं।