कोटा. सरकार गिराने के प्रयास में गजेंद्र सिंह शेखावत और सचिन पायलट वाले सीएम अशोक गहलोत के बयान पर यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने प्रतिक्रिया दी है। यूडीएच मंत्री से जब सीएम के बयान को लेकर बात की तो कहा, उन्होंने जो कहा सही कहा। शांति धारीवाल से पूछा गया था कि अशोक गहलोत ने गजेंद्र सिंह और सचिन पायलट के मिले हुए होने की बात कही है। इस पर आप क्या कहना चाहते हैं? जवाब में धारीवाल ने कहा, उन्होंने जो कुछ कहा ठीक ही कहा, क्या गलत कहा। क्या गलत कहा इसमें। इसके बाद जब उनसे पूछा गया कि क्या आप मानते हैं कि वह मिले हुए थे? इस पर धारीवाल ने कहा कि बिल्कुल मुख्यमंत्री ने माना है तो हमने भी माना है। देखा भी है। क्या गलत है इसमें।
धारीवाल के बयान के बाद कांग्रेस के भीतर खाने कोल्ड वार की चर्चाओं को और हवा मिली है। यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल फिलहाल कोटा दौरे पर हैं। इस दौरान बात करते हुए जब उनसे यह पूछा गया कि सांसद जसकौर ने कहा है कि राजस्थान में भी महाराष्ट्र जैसी स्थिति होगी। इस पर धारीवाल ने कहा कि महाराष्ट्र की बात तो महाराष्ट्र वाले जाने। राजस्थान में उन्होंने पहले भी मुंह की खाई है। फिर खा जाएंगे। राज्यसभा चुनाव में 126 में से 126 वोट पड़े, उन्हीं का वोट टूटा।
– पायलट-शेखावत मिले हुए थे:अशोक गहलोत
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ सचिन पायलट को भी निशाने पर लेकर फिर चर्चा छेड़ दी है। केंद्रीय मंत्री को विधायक खरीद फरोख्त से जुड़े केस में नोटिस देने के मुद्दे पर सीएम ने इशारों में कहा कि सिंह और सचिन पायलट सरकार गिराने के षडयंत्र में मिले हुए थे। गहलोत ने सीकर के कोठ्यारी में कहा सबको मालूम है आपने खुद ने सरकार गिराने का षडयंत्र किया। अब आप सचिन पायलट का नाम ले रहे हो कि उन्होंने चूक कर दी। प्रूफ हो गया, ठप्पा लगा दिया। आप खुद उनके साथ मिले हुए थे। गहलोत ने कहा कानून अपना काम कर रहा है। गजेंद्र सिंह को नोटिस लेट सर्व हुआ है। इन्हें वॉइस सैंपल देने में तकलीफ क्या है? ये दिल्ली कोर्ट में स्वीकार भी कर चुके हैं कि इनकी वॉइस है वो। पुलिस भी स्वीकार कर चुकी है एफिडेविट के अंदर। लोकेश शर्मा के खिलाफ इन्होंने जो केस दर्ज करवाया है, वह तो उलटा चोर कोतवाल को डांटे वाली बात है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि गहलोत के सचिन पायलट को निशाने पर लेने से यह साफ हो गया कि दोनों खेमों के बीच कोल्ड वॉर मिटा नहीं है। इसे गहलोत और पायलट खेमों के बीच जारी अंदरूनी खींचतान के और तेज होने के संकेतों के तौर पर देखा जा रहा है।

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