जयपुर। तलाक लिए बिना ही दूसरी शादी करने वाले युवक व युवती सतर्क हो जाएं। विधि सम्मत तलाक होने के बाद ही दूसरी शादी करें, अन्यथा तलाक मंजूर हुए बिना शादी की तो पति-पत्नी और उनके पुत्र-पुत्रों को विधित उत्तराधिकारी, नौकरी, धन-संपदा से वंचित होना पड़ सकता है। एक ऐसे ही मामले में जयपुर की जिला व सत्र न्यायालय जयुपर महानगर ने फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि तलाक लिए बिना दूसरी शादी करना अवैध है। कोर्ट ने यह आदेश पहली पत्नी से तलाक लिए बिना दूसरा विवाह करने वाले जयपुर डिस्कॉम के एईएन रामजीलाल ब्रह्मभट्ट की दूसरी विवाहिता और उसके बच्चों के उत्तराधिकार प्रमाण पत्र के प्रार्थना-पत्र को खारिज करते हुए दिया है। न्यायाधीश अनिल कुमार गुप्ता ने रामजीलाल की पहली पत्नी अनोप देवी निवासी आमेर जयपुर को विधिक उत्तराधिकारी मानते हुए मृत पति के सभी परिलाभ देने के आदेश दिए है। साथ ही कोर्ट ने दूसरी पत्नी गीता देवी को उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जारी करने से इन्कार कर दिया। प्रार्थी अनोप देवी के वकील अश्विनी कुमार शर्मा ने कोर्ट को बताया कि अनोप देवी और रामजी लाल ब्रह्मभट्ट का विवाह 19 जुलाई, 1972 को हुआ। एक रेल दुर्घटना में 26 सितम्बर, 2011 को पति रामजीलाल की मौत हो गई थी। प्रार्थियां के कोई औलाद नहीं हैं और वह ही पति की एकमात्र विधिक उत्तराधिकारी है। वहीं दूसरी तरफ गीता देवी, उसके पुत्र, पुत्री ने भी उत्तराधिकार प्रमाण पत्र मांगते हुए कोर्ट से कहा कि उसकी व रामजीलाल की 13 मई, 1981 को शादी हुई थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट में तथ्य पेश किए गए कि दूसरी शादी करने पर रामजीलाल ने अनोप देवी से विवाह विच्छेद का प्रार्थना-पत्र कोर्ट में लगाया, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। अनोप देवी के प्रार्थना पत्र पर फैमिली कोर्ट ने सितम्बर, 2005 को रामजीलाल को आदेश दिए कि वह ढाई हजार रुपए प्रतिमाह पत्नी अनोप देवी को दे और उसके जीवनकाल तक यह राशि दी जाए। इन तथ्यों को देखते हुए कोर्ट ने दूसरे विवाह को अवैध करार देते हुए पहली पत्नी को उत्तराधिकार प्रमाण-पत्र देने के आदेश दिए।

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