दिल्ली ।
दिल्ली के कई इलाकों में कार्बाइड से केले पकाने का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। इन दिनों व्रत के दौरान फलों की ज्यादा मांग को देखते हुए कार्बाइड से कच्चे केले को कुछ ही घंटों में पका कर बाजारों में जहर के रूप में परोसा जा रहा है। पीला और सुंदर दिखने वाला केला लोगों का ध्यान तो अपनी ओर खींचता है, लेकिन यह केला सेहत के लिए घातक साबित हो सकता है। खासकर त्योहार के दिनों में फलों को पकाने के लिए कार्बाइड का उपयोग दूसरे दिनों के मुकाबले अधिक किया जाता है। बाजारों से चित्तीदार छिलकेवाला केला गायब है, अब हर कहीं हरा और पीला केला ही नजर आ रहा है।कार्बाइड से पकाए गए केले खाने से कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं। डायटिशन अनिता लांबा ने बताया कि कैल्शियम कार्बाइड में आर्सेनिक और फॉस्फॉरस होता है। इससे एथिलिन ऑक्साइड गैस बनती है, जिससे फल पक जाते हैं। यह एक प्रकार का केमिकल है, जो बॉडी के लिए खतरनाक है। उन्होंने कहा कि कभी-कभी खाने वाले को पेट खराब, उलटी, लूज मोशन, मुंह में छाले जैसी दिक्कत हो सकती है। लेकिन रेग्युलर इस तरह से पकाए गए फल खाने वाले को आंत की लाइनिंग में अल्सर हो सकता है। आगे जाकर यह अल्सर ठीक नहीं हुआ तो कैंसर का रूप ले सकता है। इसकी वजह से बच्चों में सांस की दिक्कत हो सकती है, आंखों की रोशनी कम हो सकती है।
कई केला गोदामों में बर्फ से केला पकाने का काम किया जाता रहा है, लेकिन अधिक खर्चीला और ज्यादा समय लगने की वजह से बर्फ से केले पकाने का सिस्टम लगभग खत्म होने की कगार पर है। बाहरी दिल्ली के केला गोदाम मालिकों के मुताबिक, बर्फ से पकाया गया केला काला और बदरंग हो जाता है, जिसे लोग खराब केला समझकर नहीं खरीदते। जबकि कार्बाइड का इस्तेमाल करके पकाए गए केले का रंग नींबू जैसा पीला हो जाता है। उसमें कोई दाग-धब्बा नहीं रहता और वह ताजा और अच्छा दिखता है।