Issuance of challan of Rs 16 lakh in Sapu sub-case against deputy postman and agent

-तीन पीड़ितों को जयपुर कलक्टर ने 25-25 हजार रुपए के मुआवजे का किया भुगतान
जयपुर। शहर के महिला थाना पश्चिम में दर्ज कराये गये एक मुकदमें में तीन बेगुनाहों को 15 अप्रैल 2०12 को अलसुबह अवैध रुप से गिरफ्तार करने एवं प्रताडना देने के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने राज्य सरकार को मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन दोषी मानते हुए तीनों पीड़ितों को 25.25 हजार रुपए का मुआवजा देने के आदेश दिये हैै। राज्य सरकार ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं देकर तीनों पीड़ितों सुजाता वर्माए उसके पति संतोष कुमार वर्मा एवं बेेटे डॉण् विवेकांशु निवासी गंगासागर कॉलोनीए वैशालीनगर.जयपुर हाल गुडगांव.हरियाणा को मुआवजे की राशि 75 हजार रुपए का भुगतान भी 28 मई को जरिये जयपुर कलक्टर ने कर दिया है।

मामले में पीडित सेन्ट्रल एक्साईज एवं कस्टम्सए जयपुर से सेवानिवृत्त संतोष कुमार वर्मा ने बताया कि उनकी पुत्रवधु निधि सोनीए जो देना बैंक.जोबनेर में शाखा प्रबंधक है ने 2०12 में महिला थाना पश्चिम में उनके खिलाफ फर्जी मुकदमा दफा 498 एवं 4०6 में दर्ज कराया था। आरोप है कि जांच अधिकारी एसआई कुसुमलता मीणा ने मुस्तगीसा से मिली भगत कर सीआरपीसी की धारा 41ध्1ध्ए का घोर उल्लंघन कर उन्हें बिना कोई नोटिस दिये एवं अफसरों से बिना अनुमति तीनों को गिरफ्तार कर लिया। जांच में स्वयं पुलिस विभाग ने भी कुसुमलता मीणा को कर्तव्यों के प्रति घोर लापरवाहीए राजकार्य के प्रति उदासीनता एवं उच्चाधिकारियों के निर्देशों की अवहेलना करने का दोषी मान कर विभागीय कार्यवाही के अधीन चार्जशीट जारी कर अनुशासनात्मक प्राधिकारी द्बारा परीनिंदा की सजा से दण्डित किया है। कुसुमलता ने सास के पहने हुए सारे गहने, घर व बाजार से खरीदे सामान बिना कोई फर्द जब्ती बनाये निधि को दे दिये थ्ो। मानवाधिकार आयोग के आदेश से अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस सीआईडीध्सीबी ने भी प्रकरण की जांच कर कुसुमलता मीणा के स्पष्टीकरण को संतोषजनक नहीं पाते हुए 17 सीसीए में कार्यवाही की सिफारिश की। 12 मार्चए 2०14 को तत्कालीन पुलिस आयुक्त जंगाश्रीनिवास राव ने भी कुसुमलता को अनियमिताओंए दुराचरण एवं दूषित अनुसंधान का दोषी मानते हुए भविष्य में पुनरावृत्ति नहीं करने की चेतावनी दी थी।

डॉण् विवेकांशु ने बताया कि निधि के ममेरे भाई गोविन्द सोनी ने फरवरीए 2०11 में दो छात्राओं पर तेजाब डाल दिया था। एसएमएसएच के इमरजेन्सी में उसकी ड्यूटी होने के कारण ने निधि ने एलएलसी रिपोर्ट बदलने एवं सजा से बचाने की मांग की थी। मना करने पर विवाद हुआ और निधि ने बदले की भावना रखते हुए फर्जी मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने भी अवैध कार्यवाही की। 15 दिन बाद सेवानिवृत्ति हो रहे पिताए बीमार मां एवं उसे बिना कोई सूचना दिये अपराधियों की तरह कार्यवाही कीए जो राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आदेश से हुई जांच में साबित भी हो गई।

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