तिरुवनंतपुरम। केरल के मंदिरों में पंडितों के रूप में गैर ब्राह्मणों को नियुक्त किए जाने की मिसाल का संघ से जुड़े एक संगठन ने आज समर्थन करते हुए कहा कि वह प्रसिद्ध भगवान अयप्पा मंदिर समेत सभी मंदिरों में जाति पर विचार किए बिना पंड़ितों के रूप में सभी ‘‘योग्य’’ व्यक्तियों की नियुक्ति के पक्ष में है। राज्य के दक्षिणपंथी संगठन हिंदू एक्य वेदी ने कहा कि परंपरा के अनुसार ‘पूजा’ और ‘तंत्र’ के संबंध में जानकारी रखने वाला कोई भी व्यक्ति मंदिर के पवित्र भवन में प्रवेश करने और पूजा करने के योग्य है। एक्य वेदी के प्रदेश महासचिव ई एस बीजू ने कहा कि संगठन का मानना है कि पूजा और तंत्र की जानकारी रखने वाला कोई भी व्यक्ति अपने कार्यों से ‘ब्राह्मण’ बन सकता है चाहे वह जन्म से ब्राह्मण ना हों।
उन्होंने कहा, ‘‘मंदिरों में पंडित नियुक्त करने के लिए जाति पर विचार करने की कोई जरुरत नहीं है। निर्धारित योग्यता रखने वाले गैर ब्राह्मण मशहूर सबरीमाला और गुरुवायुर मंदिरों समेत किसी भी मंदिर के सबसे पवित्र स्थल पर प्रवेश करने और पूजा करने के योग्य है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारा यह भी मानना है कि हिंदू धर्म और रीति रिवाजों में विश्वास रखने वाला कोई भी व्यक्ति और संबंधित मंदिरों के निर्धारित रीति रिवाजों और अन्य परंपराओं का पालन करने के लिए तैयार व्यक्ति पूजा करने के लिए किसी भी मंदिर में प्रवेश कर सकता है।’’ उनकी यह टिप्पणी उस घटना के बाद आई है जिसमें गैर ब्राह्मण पंडितों ने त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड (टीडीबी) के खिलाफ यह आरोप लगाया था कि उन्हें सबरीमाला मंदिर का पंडित बनने का मौका नहीं दिया गया क्योकि इस पद के लिए केवल ब्राह्मण ही आवेदन दे सकते हैं। टीडीबी के तहत विभिन्न मंदिरों में छह दलितों समेत 36 गैर ब्राह्मणों की हाल ही में हुई नियुक्ति के बाद दक्षिणी राज्य में मंदिर में गैर हिंदूओं के प्रवेश के पक्ष में त्रिशूर में गुरुवायुर मंदिर के तंत्री (प्रमुख पंडित) के बयान को लेकर बहस छिड़ गई है। वर्ष 1980 में ऐतिहासिक पलियम घोषणा का हवाला देते हुए बीजू ने कहा, ‘‘हम तो गैर ब्राह्मण शब्द का ही विरोध करते हैं क्योंकि जब कोई व्यक्ति पूजा और तंत्र में ज्ञान हासिल करता है तो वह स्वाभाविक तौर पर ही अपने कर्मों से ब्राह्मण का दर्जा हासिल कर लेता है।’’ दक्षिणपंथी नेता ने यह भी आरोप लगाया कि केरल में माकपा के नेतृत्व वाली एलडीएफ सरकार मंदिर प्रशासन में ‘‘हस्तक्षेप’’ और खासतौर से मालाबार (उत्तर केरल) क्षेत्र में पारंपरिक संरक्षकों से नियंत्रण अपने हाथ में लेने की कोशिश कर रही है।