जयपुर। राजस्थान में बुधवार रात आए तेज अंधड़ ने भारी कहर बरपाया। अंधड़ से गिरे मकान, बिजली खंभे और पेड़ों के नीचे दबने से ना केवल कई लोगों की जानें चली गई, वहीं हजारों मवेशी और पक्षी भी मारे गए। भारी नुकसान हुआ सो अलग। अंधड़ ने राजस्थान में 31 से अधिक जानें ली है। धौलपुर में सोलह, भरतपुर में दस और अलवर में पांच जनों की मौत हुई है। अरबों रुपयों का नुकसान भी हुआ है। करौली, दौसा व दूसरे जिलों में भी भारी जन-धन की हानि हुई है। हालांकि सरकार पन्द्रह लोगों की मौत होना बता रही है। लेकिन अंधड़ से भारी जनधन हानि का सरकार ने स्वीकारा है।
सीएम वसुंधरा राजे ने गृहमंत्री व आपदा प्रबंधन मंत्री गुलाब चंद कटारिया को नुकसान की रिपोर्ट देने को कहा है। कटारिया ने सभी कलक्टर को रिपोर्ट देने और राहत कार्य तेजी से करने के निर्देश दिए है। प्रभावित जिलों के प्रभारी मंत्री बचाव कार्यों और नुकसान का जायजा लेने के लिए निकल पड़े हैं। गौरतलब है कि प्रदेश में बुधवार रात आए तेज अंधड़ और बारिश ने भारी जन-धन हानि पहुंचाई है। मकानों व वाहनों पर भारी भरकम पेड़ पड़े हुए थे तो सड़क व हाइवे पर लगे बड़े-बड़े होर्डिंग्स और बिजली के खंभे बिखरे हुए थे। दीवारों व पेड़ों के नीचे पशु दबे हुए थे। सर्वाधिक नुकसान भरतपुर, धौलपुर, अलवर, करौली, दौसा जिलों में देखा गया है। यहां बीस से अधिक जनों की मौत हुई है। वहीं डेढ़ सौ से अधिक लोग घायल हुए हैं। हजारों पशु और पक्षी भी मारे गए। सैकड़ों कच्चे घर तबाह हो गए तो पक्के मकानों को भी भारी नुकसान पहुंचा है। अंधड़ और तेज हवाओं से एक दर्जन से अधिक गांवों में कच्चे घरों में आग लग गई। हाइवे पर वाहन उलटे हुए मिले तो वट-वृक्ष भी औंधे गिरे हुए थे।
धौलपुर और भरतपुर के राजमार्ग बाधित रहे। अंधड़ से जन-धन की भारी हानि के बाद भी प्रदेश का आपदा प्रबंधन विभाग नींद में रहा। गुरुवार को नुकसान के बारे में मीडियाकर्मियों ने विभाग के अफसरों को फोन मिलाए तो अधिकांश के फोन बंद आए। जिन अफसरों ने फोन उठाए, उन्हें नुकसान की कोई जानकारी नहीं थी और ना ही विभाग की तरफ से राहत कार्य शुरु करने की जानकारी थी। इतने बड़े नुकसान के बावजूद विभाग सोया रहा और उसने राहत व बचाव कार्य शुरु नहीं किए।