In the case of 'Love Jihad', Hadia said to stay with the husband, the Supreme Court said - study

नयी दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने ‘लव जिहाद’ की कथित पीड़िता केरल की एक महिला हदिया को आज उसके माता- पिता के संरक्षण से मुक्त कर दिया और उसे अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए तमिलनाडु के सलेम भेज दिया । इस बीच, हदिया ने मांग की कि उसे उसके पति के साथ जाने दिया जाए । खुली अदालत में काफी देर तक चली कार्यवाही के बाद शीर्ष न्यायालय ने हदिया की यह अर्जी नहीं मानी कि उसे उसके पति के साथ जाने दिया जाए । उसने न्यायालय से यह भी कहा कि उसे जीने और इस्लामिक आस्था का पालन करने की ‘‘आजादी’’ चाहिए । हदिया के पिता, जो बंद कमरे में सुनवाई चाहते थे, की इच्छा के खिलाफ खुली अदालत में करीब डेढ़ घंटे तक 25 साल की हदिया से बात करने वाले शीर्ष न्यायालय ने केरल पुलिस को निर्देश दिया कि उसे सुरक्षा मुहैया कराए और सुनिश्चित करे कि वह जल्द से जल्द सलेम
जाकर वहां के शिवराज मेडिकल कॉलेज में होम्योपैथी की पढ़ाई करे । केरल उच्च न्यायालय की ओर से हदिया और शफीन जहां के बीच हुआ ‘निकाह’ 29 मई को रद्द कर दिए जाने के बाद करीब छह महीने से हदिया अपने माता-पिता के पास थी । हदिया जन्म से हिंदू है और उसने शादी से कुछ महीने पहले धर्म परिवर्तन कर इस्लाम कबूल किया है।
उच्चतम न्यायालय शफीन की अर्जी पर अगले साल जनवरी के तीसरे हफ्ते में सुनवाई करेगा । शफीन ने निकाह रद्द करने के केरल उच्चन्यायालय के फैसले को चुनौती दी है ।

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कॉलेज के डीन को हदिया का स्थानीय अभिभावक नियुक्त किया और उन्हें छूटदी कि वह कोई दिक्कत होने पर अदालत से संपर्क कर सकते हैं । न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और डी वाई चंद्रचूड़ की सदस्यता वाली पीठ ने निर्देश दिया कि हदिया से कॉलेज में आम छात्रों की तरह ही बर्ताव किया जाए।
न्यायालय ने हदिया का यह अनुरोध भी मान लिया कि उसे पहले अपनी दोस्त के घर जाने दिया जाए, क्योंकि पिछले 11 महीने से उसे मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया गया है । हदिया को सलेम स्थित कॉलेज जाने से पहले अपनी दोस्त के यहां जाने की इजाजत दे दी गई । हदिया से जब कहा गया कि वह सलेम में अपने किसी करीबी रिश्तेदार या परिचित का नाम सुझाए जिसे स्थानीय अभिभावक बनाया जा सके, इस पर उसने कहा कि उसे इस भूमिका में सिर्फ अपने पति की जरूरत है । उसने कहा कि उसके पति उसकी पढ़ाई के खर्च का ख्याल रख सकते हैं और उसे अपना प्रोफेशनल कोर्स पूरा करने के लिए सरकारी खर्च की जरूरत नहीं है । पीठ ने अंग्रेजी में सवाल किए जबकि हदिया ने मलयालम में जवाब दिए । हदिया के जवाब का अनुवाद केरल सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील वी. गिरि ने किया । करीब ढाई घंटे तक चली सुनवाई के दौरान हदिया के माता-पिता, उसके सास-ससुर और उसके पति खचाखच भरी अदालत में मौजूद थे । पीठ ने हदिया के लक्ष्यों, जीवन, पढ़ाई और शौक के बारे में सवाल किए, जिसका उसे सहज होकर जवाब दिया और कहा कि वह हाउस सर्जनशिप की इंटर्नशिप करना चाहती है और अपने पांव पर खड़े होना चाहती है । हाउस सर्जनशिप 11 महीने का कोर्स है । न्यायालय ने कॉलेज एवं यूनिवर्सिटी को निर्देश दिया कि वह हदिया का फिर से दाखिला ले और उसे छात्रावास सुविधाएं मुहैया कराए । हदिया के पिता अशोकन के एम की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने कहा कि उनकी बेटी से बंद कमरे में सवाल किए जाएं, क्योंकि यह बड़े सांगठनिक समर्थन से लड़की को सिखाने-पढ़ाने का मामला है । उन्होंने दावा किया कि वहां सांप्रदायिक तौर पर काफी आवेशित माहौल है जिसके व्यापक परिणाम हो सकते हैं । दीवान ने विदेश में बसे आईएसआईएस के एक सदस्य और हदिया के पति के बीच कथित बातचीत का लिखित रूप पेश किया और कहा कि इससे पता चलता है कि शफीन के रिश्ते पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया नाम के एक संगठन से है और जमीनी स्तर पर सिखा-पढ़ाकर कट्टर बनाने की बड़ी साजिश चल रही है ।

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