नई दिल्ली। राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के समाधान को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। कोर्ट में भीड़ का आलम यह था कि लोग लंच टाइम में भी कोर्ट में ही मौजूद रहे। इस दौरान सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, मुहम्मद हाशिम और निर्मोही अखाड़े की ओर से मामला तैयार नहीं होने के आधार पर जल्द सुनवाई का विरोध करने लगे। सुनवाई के दौरान खचाखच भरी अदालत में जब अपनी दलीलों को समझाने के लिए वकील तेज आवाज में बोलने लगे तो जस्टिस अशोक भूषण को माइक का सहारा लेना पड़ा।
दोपहर के दो बजने के साथ ही जस्टिस दीपक मिश्रा, अशोक भूषण व अब्दुल नजीर ने कोर्ट में प्रवेश किया। जहां यूपी के एएसजी तुषार मेहता ने सुनवाई की शुरुआत करते हुए कहा कि पहले हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल अपीलों पर सुनवाई हो। तदुपरांत शेष अर्जियां सुनी जाएं। सुनवाई के लिए कोर्ट को जल्दी ही तारीख तय करनी चाहिए। इस पर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वकील अनूप जार्ज चौधरी, कपिल सिब्बल और राजीव धवन ने विरोध करते हुए कहा कि दस्तावेजों का अनुवाद अभी नहीं हुआ है। 8 भाषाओं में दस्तावेज हैं। इसका हवाला तो खुद हाईकोर्ट के फैसले में है।
पहले उनका अनुवाद कराया जाए। इसी बीच रामलला के वकील सीएम वैद्यनाथन और तुषार मेहता ने सुझाव दिया जो पीठ को सही लगा। सुझाव में बताया गया कि जो पक्षकार जिस दस्तावेज का हवाला देना चाहता है, वहीं उसका अनुवाद कराए। हालांकि बाद में अनुवाद को लेकर बहस बढ़ी तो अनुवाद के लिए समय मांगा गया। जहां सभी की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने पक्षकारों को अनुवाद के लिए 12 सप्ताह का समय दिया।
-ये पुजारी हैं, जमीन पर मालिकाना हक…
सुनवाई के दौरान रामलला के वकील सीएम वैद्यनाथन ने निर्मोही अखाड़े की अपील की का विरोध करते हुए कहा कि ये तो पुजारी है, इनका जमीन पर मालिकाना हक को लेकर क्या लेना-देना? इस पर अखाड़े के वकील सुशील जैन नेक हा कि वे उनसे पहले इस मामले का मुकदमा लड़ रहे हैं।