High Court responds to clean sweeper's job

जयपुर। दो अप्रेल को भारत बंद के दौरान जयपुर सहित देश भर में उपद्रव, हिंसा, हंगामा, तोड़फोड़, बलवा, आगजनी आदि की घटनाएं होने के अपराध में गिरफ्तार किए गए 9 अभियुक्त छात्रों की जमानत अर्जियां शुक्रवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश जयपुर मेट्रो हेमन्त कुमार जैन ने गंभीर टिप्पणियां करते हुए खारिज कर दी। 3 मार्च को गिरफ्तार किए गए योगेन्द्र कुमार, श्याम लाल, राहुल महावर, ओमप्रकाश मीना, राजेश मीना, दीपक, जितेन्द्र सोनवाल, नरेश कुमार व नरपत राम के जमानत प्रार्थना पत्र अदालत ने खारिज किए हैं।

अदालत ने जमानत प्रार्थना पत्र खारिज करते हुए आदेश में कहा कि हजारों व्यक्तियों ने समूह के रूप में योजनाबद्ध तरीके से वाहनों में तोड़फोड़ की। नारेबाजी करते हुए उपद्गव, तोड़फोड़, बलवा व रिष्ट कारित की। एक उद्देश्यहीन बिन्दू को लेकर इतने बड़े पैमाने पर बलवा, दंगा व भयंकर उपद्रव हुआ है। कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा है कि न्यायपालिका अपना कार्य पूर्ण सजगता व निरन्तरता से करने के बाद भी आए दिन विभिन्न धर्मो को निशाना बनाकर प्रदर्शन करने, ढोंगी बाबाओं को आश्रय देने के आशय से उपद्रव करने, आरक्षण के नाम पर प्रदर्शन के दौरान भारी मात्रा में तोड़फोड़, मारपीट व हिंसा करना भारतीय संविधान की कभी मंशा नहीं रही है।

भारत बंद की आड़ में जंगल राज कायम किया गया। स्थिति पूर्णतया बेकाबू रही। आम नागरिकों में भयंकर खौफ उत्पन्न हुआ है। गरीबों की आजीविका पर भी भयंकर संकट उत्पन्न होता है। बच्चों के दिलोदिमाग में खौफ स्पष्टतया जाहिर हुआ। उपद्रवियों में कानून का कोई डर नहीं था। कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा कि ऐसे घटनाक्रम आए दिन होना एक आम बात सी हो गई है, कभी किसी जाति विश्ोष के द्बारा रेल की पटरियां उखाड़ दी जाती है, कभी बसों-मकानों को आग लगा दी जाती है। गुण्डा तत्वों के एनकाउन्टर होने पर व कभी किसी ढोंगी बाबा को बचाने के लिए ताण्डव मचा दिया जाता है। आमजन के हितों को सुरक्षित व संरक्षित रखा जाना अति आवश्यक है। पंजाब, हरियाणा हाईकोर्ट ने तो नुकसान की भरपाई दोषियों से वसूलने का आदेश दिया जा चुका है। अब न्याय पालिका को हस्तक्ष्ोप करने की आवश्यकता है।

LEAVE A REPLY