कोलकाता। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता श्रीजीत मुखर्जी ने कहा है कि भारत भावनाएं आहत होने वालों का देश बन गया है और भावनाएं आहत होना अब यहां का राष्ट्रीय मनोरंजन बन चुका है। बेगम जान फिल्म के निर्देशक मुखर्जी ने टाटा स्टील कोलकाता साहित्यिक सम्मेलन में कल शाम कहा, “ यह एक राष्ट्रीय मनोरंजन हो गया है, ‘आप क्या कर रहे हैं इससे मैं आहत हो रहा हूं- इस तरह की चीजें हो गई हैं।’ अगर मैं कुछ खास तरह के काम करता हूं तो मेरी याचिका होगी कि हमें न जलाएं…हमारा सिर न काटें।”
मुखर्जी ने संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावत’ को लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में हुए प्रदर्शनों और आंदोलनों का हवाला अप्रत्यक्ष तौर पर देते हुए कहा, “ अगर आप हमें ट्रोल करते हैं तो ठीक है….हमारे घरों के सामने शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन भी हो सकता है।” साहित्यिक कृतियों पर आधारित फिल्म बनाने पर निर्देशक ने कहा, “ मैं मानता हूं कि कई ऐसी फिल्में बनी हैं जो किताबों से बेहतर थीं। मैं उनमें से कुछ का नाम ले सकता हूं जैसे मेघे ढाका तारा और सप्तपदी। मेरा मानना है कि इस तरह के मामलों में फिल्मी बिरादरी खुद को अलग कर लेती है।” उन्होंने कहा कि अगर आप किसी कहानी पर काम कर रहे हैं तो आपको इसके भाव से जुड़े रहना चाहिए।