-वर्षों आक्रमण झेलने के बावजूद भारतीय सभ्यता व संस्कृति आज भी जीवंत-विवेक अग्रिहोत्री
जयपुर । चिंतक व विचारक डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि मैं रहंू या ना रहूं भारत यह रहना चाहिए। भारत, भारत रहना चाहिए यह सबसे महत्वपूर्ण बात है, क्योंकि भारत एक विचार है, भारत का एक व्यक्तित्व व एक स्वभाव है। डॉ. वैद्य ने यह बात शुक्रवार शाम को पाथेय भवन के नारद ऑडिटोरियम में आयोजित भारत बोध कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि ईशावास्यं इदं सर्वम यही भारत का विचार है। भारत में प्राचीन समय से ही अनेकों संत-महापुरूष हुए हैं।
जिन्होनें अपने अनुभव व ज्ञान से भारत के आध्यात्म को जीवित रखा है। भारत सर्वसमावेशी है। पूरी दुनिया में प्रताडित यहूदी, पारसी, क्रिश्चियन आदि ने हमारे देश में आकर शरण ली, जिन्हें हमने अपनाया। डॉ. वैद्य ने कहा कि कुछ समय पूर्व लोगों ने इनटोलरेंस जैसे अभियान चलाए, लेकिन असहिष्णुता भारत का शब्द नहीं है। विवेकानंद ने कहा था कि कोई भी व्यक्ति किसी भी विचार को मान सकता है, ऐसा सिर्फ सनातन संस्कृति में ही संभव है। यही हमारे देश की महानता है। भारत का विचार आध्यत्म का रहा है। जो सभी को साथ लेकर चलता है। अनेकता में एकता ही हमारे देश का धर्म है। यहीं हमारी संस्कृति है। वैद्य ने कहा कि संघ के स्वयंसेवकों द्वारा १ लाख ५० हजार से अधिक सेवा कार्य व हजारों एकल स्कूल चलाए जाते हैं।
फिल्म डायरेक्टर विवेक अग्रिहोत्री ने कहा कि विश्व में ऐसे बहुत कम देश है जो अपनी संस्कृति पर हमले की किसी भी बडी घटना के बाद जीवंत रहे हों, ऐसी सारी सभ्यताएं लगभग खत्म हो गई, लेकिन सैकडों वर्ष लगातार विदेशी हमले झेलने के बावजूद भी एकमात्र हिन्दू सभ्यता ही अपने प्राचीन स्वरूप व सनातन संस्कृति के साथ जीवंत बनी हुई है। हमारे देश की महिलाओं की बारे में विश्व के दूसरे देशों में गलत धारणाएं प्रस्तुत की जाती हैं। विदेशी भी कहते हैं कि भारतीयों पर विश्वास किया जा सकता है, क्योंकि भारतीय ईमानदार होते हैं। हमारे ऊपर उनके इस विश्वास का सबसे बडा कारण है हमारी माताओं की त्याग भावना।
आइएएस अधिकारी संजय दीक्षित ने कहा कि हमारे देश के बारे में हमारी धारण पश्चिम जगत के जैसे बन गई हैं। एनसीईआरटी के पाठयक्रम में भी पश्चिम की झलक देखने को मिल रही है। हमारे ऊपर इतिहास का बिगडा स्वरूप रोमिला थापर जैसे इतिहासकारों ने थोपा है। आज वही इतिहास हमें पढाया जा रहा है। १९५० के दशक से यह बदलाव शुरू हुआ और १९६० के दशक से पाठयक्रम बहुत ज्यादा बदल दिए गए। इसके कारण हमारी मानसिकता भी पूरी तरह पश्चिमी तरफ झुकती जा रही है।
-कॉन्फ्लूएंस का इनोग्रेशन आज
शहर के नारद ऑडिटोरियम में सोशल मीडिया कॉन्फ्लूएंस का आगाज आज दोपहर होगा। यह आयोजन सोशल मीडिया में रूचि रखने वालों के लिए बेहद खास रहने वाला है। कॉन्फ्लूएंस के इनोग्रेशन सैशन को फिल्म डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री एड्रेस करेंगे। कॉन्फ्लूएंस में साइबर क्राइम, सामाजिक पत्रकारिता, राजनीति, अर्थव्यवस्था, फिल्म और रक्षा क्षेत्र से जुडे एक्सपर्ट भाग लेंगे। इसमें सोशल मीडिया व पॉलिटिक्स तथा सुरक्षा पर पेरलर पैनल डिस्कशन होंगे। शनिवार को ही कंटेट राइटिंग, ग्राफिक्स डिजाइनिंग, शॉर्ट फिल्म व वीडियो क्रियेशन, डिजीटल मीडिया व मार्केटिंग तथा फेस टू फेस आदि पर वर्कशॉप होगी। रात 8 बजे आयोजित कल्चरल नाइट में हरियाला बन्ना, रेपरिया बालम आदि राजस्थानी कलाकार प्रस्तुति देंगे। पैनल डिस्कशन में हालिया चर्चित अर्बन नक्सल, मॉब लिंचिंग, असहिष्णुता, आधारित पत्रकारिता और केन्द्र सरकार की रक्षा व अर्थ नीति इत्यादि पर चर्चा प्रस्तावित है। इसमें आर्थिक विश्लेषक अश्विनी महाजन व मेजर सुरेंद्र पूनिया समेत दर्जनभर जानी पहचानी हस्तियां शामिल होंगी।